गुप्त नवरात्रि सिद्धी योग में प्रारंभ, बसंत पंचमी सहित रथ सप्तमी व भीष्म अष्टमी भी इस दौरान

गुप्त नवरात्रि सिद्धी योग में प्रारंभ, बसंत पंचमी सहित रथ सप्तमी व भीष्म अष्टमी भी इस दौरान
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रायपुर: गुप्‍त नवरात्रि सिद्धि योग में रविवार को प्रारंभ हो गई। गुप्‍त नवरात्रि की शुरुआत सिद्धि योग से होना शुभ माना जाता है। साथ ही कुंभ राशि में शनि-शुक्र की युति भी हो रही है, जो कि बेहद शुभ है, क्‍योंकि शुक्र और शनि मित्र ग्रह हैं।

रायपुर: गुप्‍त नवरात्रि सिद्धि योग में रविवार को प्रारंभ हो गई। गुप्‍त नवरात्रि की शुरुआत सिद्धि योग से होना शुभ माना जाता है। साथ ही कुंभ राशि में शनि-शुक्र की युति भी हो रही है, जो कि बेहद शुभ है, क्‍योंकि शुक्र और शनि मित्र ग्रह हैं। पूरे नौ दिनों के दौरान शनि और शुक्र ग्रह की युति का यह अद्भुत संयोग बना रहेगा। हिंदू पंचाग के अनुसार यह विक्रम संवत 2079 की अंतिम नवरात्र है। इसके पश्चात चैत्र नवरात्र के साथ हिंदू नववर्ष प्रारंभ होगा। शहर के देवी मंदिरों में विशेष पूजन और आराधना प्रारंभ हो गई है। भक्त भी मंदिर पहुंचकर साधना कर रहे हैं। अगले नौ दिनों तक माता के नौ रूपाें की पूजा-अर्चना होगी।

कई व्रत-उत्सव भी इस दौरान

माघ मास की इस गुप्त नवरात्रि के दौरान कई व्रत-उत्सव मनाए जाते हैं। इस बार गुप्त नवरात्रि के अंतर्गत 25 जनवरी को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। 26 जनवरी को देवी सरस्वती का प्रकटोत्सव बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाएगा। वहीं 28 जनवरी को अचला और रथ सप्तमी का पर्व रहेगा। 29 जनवरी को भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन यानी 30 जनवरी को महानंद नवमी का उत्सव मनाया जाएगा। किसी भी तिथि का क्षय इस बार नहीं है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है।

सात्विक पूजन करें गृहस्थ

पं. रविशंकर शुक्ल विवि परिसर स्थित बंजारी माता मंदिर के पं. राजेश शुक्ला ने बताया, गुप्त नवरात्रि के नौ दिन देवी सती से प्रकट हुईं 10 महाविद्याओं को समर्पित हैं। ये महाविद्याएं मां काली, मां तारा, मां त्रिपुरासुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुराभैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला हैं। शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में इन महाविद्याओं की साधना की जाती है। गृहस्थ जीवन वालों को इसमें देवी की सात्विक पूजा करनी चाहिए। गुप्त नवरात्र में भी अगर आमजन चाहें तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए साधना उपासना तथा पाठ आदि करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं।

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