MBBS Students :एमबीबीएस करने यूक्रेन लौटे छत्तीसगढ़ के छात्रों की बंकरों में गुजर रही हैं रातें

MBBS Students :एमबीबीएस करने यूक्रेन लौटे छत्तीसगढ़ के छात्रों की बंकरों में गुजर रही हैं रातें
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रायपुर समेत छत्तीसगढ़ से हर साल बड़ी संख्या में यात्रा चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन सहित अन्य देशों की ओर जाते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच सालभर से अधिक समय से चल रहे युद्ध की वजह से यह परंपरा थोड़ी बाधित जरूर हुई है। पढ़िए पूरी खबर...

विकास शर्मा - रायपुर। रशिया- यूक्रेन(Russia-Ukraine) के बीच चल रहे युद्ध के दौरान घर आए छत्तीसगढ़ के सभी छात्र एमबीबीएस (MBBS studies )की अधूरी पढ़ाई पूरी करने वापस लौट चुके हैं। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध अभी भी जारी है। और हर वक्त मिसाइल गिरने की आशंका पर रेड अलर्ट होता है। आए दिन बंकरों में छत्तीसगढ़ के छात्रों को रातें गुजारनी पड़ रही है। खतरा तो कम है मगर अलर्ट के लिए बजने वाले सायरन (siren)से धड़कनें बढ़ जाती है, रात दस बजे के बाद पूरे शहर में वीरानी छा जाती है। लंबे समय से चल रहे युद्ध की वजह से मंहगाई बढ़ चुकी है मगर डाक्टरी की पढ़ाई पूरा करने का जज्बा इन सब समस्यस्यों पर भारी है।

राजधानी रायपुर समेत छत्तीसगढ़ से हर साल बड़ी संख्या में यात्रा चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन सहित अन्य देशों की ओर जाते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच सालभर से अधिक समय से चल रहे युद्ध की वजह से यह परंपरा थोड़ी बाधित जरूर हुई है मगर चिकित्सा सेवा में अपना योगदान देने छात्रों का जज्बा अभी कम नहीं हुआ है। 'हरिभूमि ने विभिन्न समस्याओं के बीच अपनी पढ़ाई पूरा करने का माझ लेकर यूक्रेन में डटे भविष्य के डाक्टरों से चर्चा की।


अलर्ट सिस्टम तेज

छात्रों के मुताबिक अप्रत्याशित खतरे से लोगों को अगाह करने के लिए यूक्रेन की सरकार द्वारा मजबूत नेटवर्क सिस्टम विकसित किया है। मोबाइल पर मैसेज के साथ जगह-जगह सायरन लगाए गए जिसके बजते ही लोग अपने नजदीकी इलाके में मौजूद बंकर में प्रवेश कर जाते हैं। वहां नेटवर्क की समस्या तो रहती है मगर वे सुरक्षित होते हैं।

सायरन मतलब ... बंकर में जाना है

यूक्रेन के विनित्सिया में एबीबीएस अंतिम वर्ष की पढ़ाई करने वाले राजधानी के अमन शर्मा तथा उसके साथी दिसंबर-जनवरी के दौरान वे थोड़ा डर और थोड़ी हिम्मत के साथ वापस लौटे थे। पढ़ाई सामान्य स्थिति में आ चुका है कि मगर अभी किसी ना किसी इलाके में मिसाइल गिरने की सूचना थोड़ी दहशत ला देती है। युद्ध की वजह से यहां अपार्टमेंट, हास्टल, अस्पताल सहित विभिन्न बड़े भवनों अन्य तथा इलाकों में बंकर बनाए गए है जहां मोबाइल पर आने वाले अलर्ट, बजने वाले चेतावनी भरे सायरन के बाद पनाह लेनी पड़ती है। यहां से वापसी खतरा टलने का मैसेज अथवा सायरन के बाद होती है। बंकर में छुपने के प्रक्रिया आए दिन और रात में होती है जहां जागकर समय बिताना होता है। अब तक किसी तरह की अप्रिय घटना यहां नहीं हुई है मगर सायरन की आवाज अनजान दहशत जरूर पैदा करता है। सावधानी की वजह से पूरा इलाका रात दस बजे बंद हो जाता है इसलिए सभी को इसके पहले अपने ठिकाने तक पहुंचना पड़ता है।


देश में नहीं मिली थी राहत

युद्ध की वजह से वापस लौटे छात्रों और उनके परिजनों द्वारा अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए संबंधित राज्यों में ही व्यवस्था करने की मांग की जाती रही। इसके लिए विभिन्न तरीके से कई राज्यों में प्रोटेस्ट किया गया था। एनएमसी द्वारा उनकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए किसी तरह की सिस्टम नहीं होने का तर्क देने के बाद डेढ़ सौ से अधिक बच्चे वापस यूक्रेन लौटे थे।

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