मेडिकल कॉलेज के एमआरयू वैज्ञानिक तैयार कर रहे कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट किट

मेडिकल कॉलेज के एमआरयू वैज्ञानिक तैयार कर रहे कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट किट
X
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी न्यूट्रलाइजिंग का पता आसानी से बता देंगे। एमआरयू के प्रमुख डाॅ. जगन्नाथ पाल के नेतृत्व में किए जा रहे इस रिसर्च का काम अंतिम स्तर पर है और आईसीएमआर द्वारा इसे स्वीकृति मिलते ही इसका उपयोग किया जा सकेगा।

पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमआरयू) के विशेषज्ञ वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी न्यूट्रलाइजिंग का पता आसानी से बता देंगे। एमआरयू के प्रमुख डाॅ. जगन्नाथ पाल के नेतृत्व में किए जा रहे इस रिसर्च का काम अंतिम स्तर पर है और आईसीएमआर द्वारा इसे स्वीकृति मिलते ही इसका उपयोग किया जा सकेगा।

विशेषज्ञों का दावा है कि यह किट कोविड-19 के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए भारत में दूसरा स्वदेशी डायग्नोस्टिक व सबसे कम लागत वाली टेस्टिंग किट होगी। वर्तमान में एलिसा आधारित कई किट बाजार में टोटल बाइंडिंग एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए उपलब्ध हैं जो जांच किट न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता नहीं लगा सकते। डाॅ. पाल के मुताबिक वर्तमान में कई टीके पहले से ही उपलब्ध हैं। कुछ टीकों को आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी गई है।

विभिन्न समूहों के व्यक्तियों में इसकी प्रभावकारिता और सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जाना बाकी है इसलिए कोविड-19 संक्रमण या टीकाकरण के बाद सीरम/प्लाज्मा में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है जिससे यह पता चल सके कि किसमें संक्रमण की संभावना हो सकती है। तैयार किए जा रहे एंटीबॉडी किट के सरल तथा कम समय में साधाररण बीएसएल-2 लैब में जांच किए जाने के लायक बताया गया है।

शरीर में विकसित होती है एंटीबॉडी

यह एक ऐसी एंटीबॉडी है, जो कोरोना वायरस को निष्प्रभावी करने के लिए शरीर द्वारा विकसित की जाती है। यह एंटीबॉडी वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए बेअसर कर देती है और सीधे मानव शरीर को संक्रमण से बचाती है। न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी शरीर में वायरस द्वारा कोशिका को संक्रमित करने से रोकती है।

किट का मूल्याकंन

अब तक एमआरयू में तकनीक विकसित की जा चुकी थी। कुछ सीरम नमूनों पर प्रारंभिक परीक्षण किए गए हैं जिन्हें टीका लगाया गया था या पहले कोविड-19 से पीड़ित थे। वर्तमान में किट का और मूल्यांकन किया जा रहा है। इसके बाद इस टेस्टिंग किट को आईसीएमआर के पास सत्यापन और अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।

इनका सहयोग

एंटीबॉडी टेस्ट किट को तैयार करने में जूनियर साइंटिस्ट डॉ. योगिता राजपूत सहयोग कर रही हैं। वहीं अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए एमआरयू के नोडल अधिकारी डॉ. विवेक चौधरी एचओडी रेडियोथेरेपी, डॉ. अरविंद नेरलवार एचओडी पैथोलॉजी, डॉ. प्रदीप कुमार पात्रा डीन सह अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने सहयोग किया है। एमआरयू के अनुसंधान को सुचारू रूप से चलाने के लिए मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णुदत्त, आंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन ने सहायता दी है।


Tags

Next Story