मेथेनॅाल से बना सेनेटाइजर, दिल्ली से जुड़े तार, टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार

औद्योगिक क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले मेथेनॉल की मदद से सेनेटाइजर निर्माण मामले के तार दिल्ली से जुड़े हुए हैं। इस मामले में दिल्ली की संबंधित कंपनी से पूछताछ की तैयारी की जा रही है। औषधि विभाग इस मामले में सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
ड्रग विभाग की टीम ने चार दिन पहले देवेंद्रनगर की ईला ट्रेडिंग कंपनी में दबिश देकर बड़ी मात्रा में सेनेटाइजर बरामद किए थे जिसमें मेथेनॉल जैसे खतरनाक केमिकल मिलाए जाने का अंदेशा था। जब्त सेनेटाजर में उत्पादक का नाम नहीं था केवल सप्लायर का जिक्र था जिसे दिल्ली की कंपनी बताया जा रहा है। इस मामले में दिल्ली से संबंधित कंपनी से जानकारी मांगी जा रही है कि उसने किस उत्पादक से खतरनाक सेनेटाइजर खरीदा है।
दिल्ली की कंपनी सेनेटाइजर कपड़ा व्यापारी को सप्लाई करती थी जिसे वह अन्य लोगों को देता था। सूत्रों के मुताबिक मेथेनॉल का उपयोग त्वचा के लिए खतरनाक हो सकता है। इस मामले में औषधि विभाग की टीम लैब से रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है। सैंपल को बुधवार तीन दिन पहले लैब भेज दिया गया था मगर उसकी जांच पूरी नहीं हो पाई है।
इसी तरह इसके पूर्व शैलेंद्रनगर इलाके में एक मकान से जब्त सेनेटाइजर की जांच में अजीब मामला सामने आया है। व्यापारी द्वारा जिस सेनेटाइजर में पानी मिलाया जा रहा था टेस्ट की रिपोर्ट में उसे तो सही पाया गया है मगर वहां से जब्त बाजार से खरीदे गए सेनेटाइजर के सैंपल को अमानक पाया गया है। औषधि विभाग की टीम इस मामले में संबंधित व्यापारी को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नकली रेमडेसिविर की प्रदेश में जांच
गुजरात में नमक और ग्लूकोज के जरिए बनाए गए नकली रेमडेसिविर के भारी मात्रा में इंदौर में पकड़े जाने के बाद छत्तीसगढ़ में इसकी सप्लाई की जांच की जा रही है। ड्रग विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि इस इंजेक्शन की खरीदी सीधे कंपनी से करने के बाद उसे गोदाम में लाकर अस्पतालों तक पहुंचाया गया है। इसके पूर्व सिस्टम नहीं बनने और अस्पतालों द्वारा सीधी खरीदी किए जाने के दौरान इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा है।
पैरासिटामाॅल का मामला
रेमडेसिविर को लेकर हो रही मारामारी के बीच वॉयल में पैरासिटामाॅल का पावडर भरकर बेचने की शिकायत जरूर कुछ अधिकारियों के पास पहुंची थी। इस दौरान संबंधित व्यक्ति के बारे में पतासाजी का प्रयास किया गया, मगर सफलता नहीं मिली थी। जानकारी के मुताबिक उक्त वॉयल में इंजेक्शन का नाम लगाने के बजाय कागज का स्टीकर चिपकाया गया था इसलिए इसे कतिपय लोगों की शरारत भी माना गया था।
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