मिलरों ने दबाया 24 हजार टन चावल, अब एफआईआर, बैंक गारंटी होगी जब्त

छत्तीसगढ़ में मिलरों द्वारा कस्टम मिलिंग के लिए उठाए गए धान का चावल बनाकर देने के बजाय उसकी अफरा तफरी सामने आई है। प्रदेश भर में मिलरों ने 24 हजार टन चावल नहीं लौटाया है। खास बात ये है कि मिलरों को बार-बार अवसर दिया जा रहा था। चावल जमा करने के लिए 30 नवंबर आखिरी तारीख थी। यह तारीख बीतने के बाद अब जिलों में मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। जिन मिलरों ने चावल नहीं लौटाया है उनकी बैंक गारंटी भी जब्त की जाएगी।
ये है मामला
राज्य में पिछले खरीफ सीजन के दौरान मिलरों ने कस्टम मिलिंग के लिए धान उठाया था। एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत मिलरों का पंजीयन किया गया था। इस दौरान मिलिंग की क्षमता के मुताबिक मिलरों ने धान उठाया और धान की कीमत के एवज में बांड भी भरा था। शर्त ये थी कि मिलरों को तय समय में धान का चावल बनाकर एफसीआई या नान में चावल जमा करना था। लेकिन राज्य के कई जिलों में मिलरों ने समय पर चावल जमा नहीं किया है।
कबीरधाम जिले में हुई एफआईआर
इस मामले में कबीरधाम जिले के कलेक्टर ने मेसर्स जनक राइस मिल महाराजपुर बोडला के संचालक अविनाश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया है। मिलर की बैंक गारंटी जब्त करने जिला विपणन अधिकारी मार्कफेड कबीरधाम को भी आदेशित किया गया है। खास बात ये है कि इस मिल की जांच के लिए जब सरकारी दल पंहुचा तो वहां मिल में चौकीदार मौजूद था। मिलर ने जांच के दौरान आने में असमर्थता जताई। जांच में पाया गया कि मिलर को ऑनलाईन डाटा के मुताबिक 666.63 मीट्रिक टन चावल(23 लॉट) नागरिक आपूर्ति निगम में जमा करना था। लेकिन वहां 994.97 मीट्रिक टन धान कम पाया गया। इसकी अनुमानित कीमत 2 करोड़ 48 लाख 74 हजार रुपए होती है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मिलर का यह कृत्य अमानत में खयानत की श्रेणी में आता है।
प्रदेश भर में 24 हजार टन चावल दबाया गया
कार्रवाई की जा रही है, जिन मिलरों ने चावल जमा नहीं किया है उनकी बैंक गारंटी जब्त की जाएगी। इस संबंध में संबंधित जिलों में कार्रवाई की जा रही है।
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