मितानिनों ने किया CMHO कार्यालय का घेराव- दो साल से मानदेय की राशि नहीं दी गई है।

बिलासपुर: जिले की मितानिनों ने सोमवार को CMHO कार्यालय का घेराव कर दिया। CMHO ऑफिस का घेराव करने पहुंची मितानिनों ने जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को पूरा करने की मांग करती रहीं। इस दौरान मितानिन ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गईं। करीब आधे घंटे के प्रदर्शन के बाद उन्होंने अफसरों को ज्ञापन सौंपा और मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी।
कोरोना ड्यूटी के लिए 10 हजार रुपए देने का वादा था, दो साल बाद भी नहीं मिला।
कोरोना में उन्हें 10 हजार रुपए देने की बात कही थी। जिसे अब तक नहीं दिया गया है। उनका आरोप है कि उन्हें कोरोना कॉल में मानदेय देने का वादा किया गया था। लेकिन, दो साल से मानदेय की राशि नहीं दी गई है।
कोरोना काल में अपमानित भी होना पड़ता था।
मितानिनों ने बताया कि कोरोना काल में जहां लोग अपने घर में रह रहे थे, उस स्थिति में मितानिन अपनी जान जोखिम में डालकर घर घर सर्वे कर रहे थे। लेकिन, आज काम होने के बाद उन्हें ही अपने मेहनत की राशि से वंचित किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें अपमानित भी होना पड़ता था और लोग उन्हें अपने घरों से भगा देते थे। फिर भी मितानिन इमानदारी से अपना काम करती रहीं।
स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में मितानिनों की नियुक्ति की है।
गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मितानिनों की नियुक्ति की है। शुरुआत में उन्हें काम के हिसाब से पारिश्रमिक राशि देने की बात कही गई थी। यानि की प्रति महिलाओं की डिलवरी कराने पर पांच सौ रुपए दिया जाना था। इस पर मितानिन अपने-अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने में जुटे थे। जब कोरोना काल आया, तब उन्हें अफसरों ने 10 हजार रुपए मानदेय देने की बात कही थी। लेकिन, दो साल से प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है। वहीं मानदेय भी नहीं दिया गया है।
जिले में 470 मितानिन हैं।
स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन में मितानिनों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ग्रामीण क्षेत्र में मैदानी स्तर पर काम करने वाली मितानिन लोगों के बीच पारिवारिक सदस्य के रूप में पहचान रखती है।
परेशान करते हैं NM, उनका काम भी मितानिनों से ही कराया जा रहा।
उन्होंने बताया किउन्हें NM परेशान करते हैं। NM का काम भी घर-घर जाना है। लेकिन, उनके द्वारा मितानिनों से ही काम कराया जाता है। उनसे एंड्रायड मोबाइल में काम करने, फोटोकॉपी कराने के निर्देश दिया जाता है। मितानिनों ने बताया कि उनके प्रेरक बेहतर काम कर रहे हैं। लिहाजा, NM को हटाकर प्रेरकों से काम लिया जाए।
CIMS व जिला अस्पताल में परेशान किया जाता है।
मितानिनो का कहना है सरकार गर्भवती महिलाओं का अस्पताल में प्रसव कराने को बढ़ावा दे रही है। वहीं, सरकारी अस्पताल के स्टॉफ उन्हें तरह-तरह से परेशान करते हैं। मितानिनों ने बताया कि अब उन्हें अपने बच्चों के पेट पालने के लिए धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उनका आरोप है कि गर्भवती महिलाओं को CIMS व जिला अस्पताल लेकर जाते हैं, तो पहले रुपए की मांग की जाती है।
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