मित्र मिलन कार्यक्रम: घनिष्ठ दोस्ती की मिसाल, पुरानी यादों को किया ताजा...80 सालों से फ्रेंडशिप बरकरार

मित्र मिलन कार्यक्रम: घनिष्ठ दोस्ती की मिसाल, पुरानी यादों को किया ताजा...80 सालों से फ्रेंडशिप बरकरार
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छात्रों की ऐसी अनोखी दोस्ती आपने कभी नहीं देखी होगी। यह सभी शासकीय हाईस्कूल कुरुद बैच 1963 के छात्र है। 80 सालों से इनकी दोस्ती बरकरार है।...पढ़े पूरी खबर

यशवंत गंजीर/कुरूद। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरूद नगर में छात्रों की ऐसी अनोखी दोस्ती आपने कभी नहीं देखी होगी। यह सभी शासकीय हाईस्कूल कुरुद बैच 1963 के छात्र है। अब इस सभी की उम्र 82 या 78 के पार हो गई है। लेकिन इनकी फ्रेंडशिप अब भी बरकरार है। बता दें, बीते दिनों मित्र संगठन के सदस्य पूर्व शिक्षक चोखेलाल साहू ने अपने निवास शिक्षक कालोनी कुरूद में मित्र मिलन कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसमें मित्र संगठन कार्यक्रम में पूर्व प्रोफेसर चन्द्राकर , पूर्व शिक्षक इन्द्रमन साहू , पूर्व इंजीनियर सत्यवान देवांगन, व्यवसायी रामाधार कमलवंशी , पूर्व शिक्षक मनहरण लाल बैस, वरिष्ठ पत्रकार कृपाराम यादव, वरिष्ठ पत्रकार प्रेमलाल साहू , पूर्व शिक्षक रिपुसूदन यदु, पूर्व कृ.वि. अधि. द्वय ,सदनदास साहू, खेमराज साहू,युगलकिशोर अग्रवाल व्यवसायी पूर्व छात्र मित्र मण्डल के सदस्य उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के दौरान बीते दिनों की यादे ताजा की गई। इसके अलावा चुटकुले, हास्य -परिहास्य, परिचय मिलन भी रखा गया। जिसे शाम 5 बजे खत्म किया गया।

मित्र संगठन 1960 से बरकरार

पूर्व छात्रों का मित्र संगठन सन 1960 चल रहा है। इस बीच स्व. रमाकांत चन्द्राकर अंग्रेजी भाषाविद प्रोफेसर दहदहा, प्राचार्य गणेश राम साहू , शिक्षक जयलाल सिन्हा कुरूद जैसे दर्जनों मित्रों को खोया है। फिर भी 15 सदस्यी मित्र मण्डल ने परपरा को जारी रखा है। जनवरी के महीने में भाठागांव में इन्द्रमन साहू और रायपुर में सरोज चन्द्राकर ने कार्यक्रम रखा था। फरवरी में रामाधार कमलवंशी ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। और अप्रैल में भी चोखेलाल साहू ने मित्र मिलन कार्यक्रम किया।

मित्र संगठन कार्यक्रम की रायपुर संभाग में हुई प्रशंसा

बता दें, 1963 बैच वाले छात्रों की प्रेरणा से विधायक और केबिनेट मंत्री अजय चन्द्राकर ने नागरिकों के सहयोग से हाईस्कूल के पच्चास वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती महोत्सव मनाया था। जिसमें सन् 1962 से 2013 बैच तक के छात्र शामिल हुए थे। यहां पर गुरु शिष्य सम्मेलन भी हुआ, जिसकी प्रशंसा पूरे रायपुर संभाग में हुई थी। तब से स्कूल महाविद्यालयों के कार्यक्रमों में गुरू शिष्य समारोह को प्रेरणा मिलती रही है।

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