मरकाम ने कहा- मोदी के सात साल बाद महंगाई ही राष्ट्रीय आपदा, जनता की जेब में डाल रहे डाका

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हमें लगता है कि कोरोना महामारी से किसी तरह बच गए लोग अब महंगाई नाम की महामारी की चपेट में आने वाले हैं। एक राष्ट्रीय आपदा के बाद एक और राष्ट्रीय आपदा देश में आ गई है और इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने कहा है कि पूरे देश में पेट्रोल-डीजल और खाद्य तेल के दामों से लोग परेशान हैं, कोरोना के बाद महंगाई लोगों के लिए दूसरी महामारी साबित हो रही है। महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस कार्यकर्ता अपने घरों के सामने 5 जून को धरने पर बैठकर विरोध दर्ज कराएंगे।
कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा में श्री मरकाम ने कहा, मोदी सरकार के 7 वर्षों में वस्तुओं की कीमत दोगुनी हो गई है। प्रधानमंत्री जनता की जेब पर डाका डाल रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो कोरोना से बच गए लोगों को यह महंगाई मार डालेगी। पिछले डेढ़ साल से जनता कोरोना महामारी की मार झेल रही है। मोदी की अदूरदर्शी और जनविरोधी नीतियों ने कोरोना की बीमारी के समय में जीवन को और कठिन बना दिया है। वह अचानक किया हुआ लॉकडाउन हो, अस्पतालों से लेकर ऑक्सीजन तक का इंतजाम हो या फिर वैक्सीन नीति, हर जगह मोदी सरकार विफल दिखाई देती है।
खाद्य तेल की महंगाई, अडानी और मोदी को घेरा
मरकाम ने खाद्य तेलों की महंगाई के बहाने औद्योगिक घराने अडानी समूह और प्रधानमंत्री मोदी को घेरा। उन्होंने कहा कि एक तरफ खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े, दूसरी ओर किसानों की आमदनी घटी। मतलब खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने का फायदा किसानों को नहीं बल्कि बिचौलियों को मिला है। खाद्य तेल के दाम पिछले दो वर्ष में ही दो गुना बढ़ गए हैं। देश में खाद्य तेल के सबसे बड़े निर्माता मोदी के प्रिय गौतम अडानी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस महंगाई का सबसे अधिक फायदा किसे मिल रहा है।
पेट्रोलियम पर केंद्र सरकार को घेरा
उन्होंने कहा है कि अप्रैल 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 103 डॉलर प्रति बैरल थी। तब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने पेट्रोल-डीजल के दाम को बढ़ने नहीं दिया। उस समय पेट्रोल की कीमत 72 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 55 रुपए प्रति लीटर थी। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 69.15 डॉलर प्रति बैरल है। जबकि रायपुर में पेट्रोल की कीमतें 92.76 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 92.38 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई है। पिछले मई महीने में ही पेट्रोल-डीजल के दाम 16 बार बढ़ाए गए हैं।
एक्साइज ड्यूटी में दस गुना वृद्धि
श्री मरकाम ने आरोप लगाया, केंद्र सरकार पेट्रोलियम पर एक्साइज ड्यूटी के जरिए जनता की जेब पर डाका डाल रही है। क्रूड ऑयल की कीमतों में 36 प्रतिशत की कमी आई, उसके बाद भी पेट्रोल के दाम में 31 प्रतिशत की और डीजल के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार सत्ता में आई थी तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर थी। अभी यह ड्यूटी 32.90 रुपए प्रति लीटर है। 2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपए प्रति लीटर थी जो वर्तमान में 31.80 रुपए प्रति लीटर है।
महंगाई पर अपना रुख स्पष्ट करे भाजपा
पीसीसी अध्यक्ष श्री मरकाम ने कहा, महंगाई से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा नए-नए शिगूफे छोड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने पर साइकिल पर सवार होकर सड़क पर उतरने वाले डाॅ. रमन सिंह इस समय फर्जी दस्तावेज दिखाकर लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई षडयंत्र हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल जैसे नेता महंगाई पर अपना रुख स्पष्ट करें और जनता से माफी मांगें।
जिनको महंगाई आपदा लग रही है, वो खाना-पीना बंद कर दें : बृजमोहन
कांग्रेस अध्यक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुए पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जिनको महंगाई आपदा लग रही है, वो खाना पीना बंद कर दें। कांग्रेस या कांग्रेस के जिन वोटरों को महंगाई आपदा लग रही है वो अपने खाने-पीने, पेट्रोल भराने जैसे कामों में कटौती करें। इस वक्त बात कोरोना और तीसरी लहर से निपटने की होनी चाहिए लेकिन कांग्रेस झूठे मुद्दे उठाने में व्यस्त है।
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