मानसून सत्र शुरू : मंत्री के इस्तीफे का मामला गूंजा-विपक्ष ने बताया संवैधानिक संकट की स्थिति, PHE मंत्री को जमकर घेरा

मानसून सत्र शुरू : मंत्री के इस्तीफे का मामला गूंजा-विपक्ष ने बताया संवैधानिक संकट की स्थिति, PHE मंत्री को जमकर घेरा
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सदन में सबसे मुखर रहने वाले भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा, प्रदेश में संविधानिक संकट की स्थिति बन गई है। मंत्री ने पत्र लिखकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सामूहिक उत्तरादायित्व के तहत उन आरोपों पर मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्रियों का जवाब आना चाहिए। फिर क्या हुआ पढ़िए...

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र आज सुबह शुरू हो हुआ। सबसे पहले शून्यकाल में मंत्री टीएस सिंहदेव के एक विभाग से इस्तीफे पर हंगामा मचा। विपक्ष ने इसको व्यवस्था का प्रश्न बताकर सरकार से जवाब मांगा। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

सत्र के पहले दिन शून्यकाल शुरू होते ही सदन में सबसे मुखर रहने वाले भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा, प्रदेश में संविधानिक संकट की स्थिति बन गई है। मंत्री ने पत्र लिखकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सामूहिक उत्तरादायित्व के तहत उन आरोपों पर मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्रियों का जवाब आना चाहिए। भाजपा के दूसरे विधायकों ने भी कुछ इसी तरह की बातें रखीं। तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, एक मंत्री का मुख्यमंत्री को पत्र लिखना संवैधानिक संकट और व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता। मंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने की भी विधानसभा सचिवालय को कोई सूचना नहीं है। भाजपा विधायकों ने कहा, मंत्रियों के तय प्रोटोकाल का पालन नहीं हो रहा है। कोरोना काल में फैसलों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति अभी भी फैसले ले रही है। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

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इसके बाद प्रश्न काल में घरेलू नल जल कनेक्शन योजना में पिछड़ने का मामला उठा। धमतरी से भाजपा विधायक रंजना डीपेंद्र साहू और अजय चंद्राकर ने यह मामला उठाया। बाद में भाजपा विधायकों ने इस मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री रुद्र कुमार गुरु को घेरा। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा- पैसा आते ही बंदरबाट शुरू हो गई। इसकी वजह से मुख्यमंत्री को टेंडर निरस्त करना पड़ा। 2020 में योजना शुरू हुई और सितम्बर 2023 में पूरा कर लिया जाना है। लक्ष्य तय हुआ है 38 लाख से अधिक घरों तक नल पहुंचाने का। जुलाई 2022 तक केवल 6 लाख लोगों को इसका फायदा मिला है। ऐसे में8 एक साल में 32 लाख कनेक्शन कैसे दिया जाएगा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, सरकार राज्यांश का पैसा ही इस योजना के लिए नहीं दे रही है। इसके बाद भाजपा के सभी विधायक खड़े होकर सवाल करने लगे। इस पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय मंत्री रुद्र गुरु ने कहा- दो साल कोरोना रहा। केंद्र सरकार ने अपने हिस्से का पैसा नहीं दिया। तीन महीने उसका इंतजार करने के बाद राज्य सरकार ने अपने हिस्से के पैसे से इसे आगे बढ़ाया। इसकी वजह से देर हुई। योजना बनकर तैयार है। टेंडर लगना शुरू हो चुका है। समय-सीमा के भीतर हम काम पूरा करने का भरोसा दिलाते हैं। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों का हमला जारी रहा। वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, इस योजना की प्रगति में छत्तीसगढ़ 30वें नंबर पर है। यह शर्मनाक स्थिति है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने विधानसभा की समिति से जांच कराने की मांग की। इससे पहले कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने पर्यावरण नियमों की अनदेखी और मोटर पंपों को स्थायी बिजली कनेक्शन का मामला उठाया।

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