भिलाई में मां गुजरी, मातम में डूबा सरहद पार का एक गांव

मोहम्मद जाकिर हुसैन. भिलाई. सेक्टर-2 भिलाई निवासी वयोवृद्ध प्रीतपाल कौर भाटिया की मृत्यु के बाद परिजनों को भी नहीं मालूम था कि उनकी मां के लिए सरहद पार पाकिस्तान का एक गांव भी मातम मना रहा है। रविवार को सोशल मीडिया में इस संबंध में आई कुछ पोस्ट की खबर मिलने के बाद स्व. प्रीतपाल के परिजन बेहद भावुक हैं। दरअसल स्व. प्रीतपाल मूल रूप से मौजूदा पाकिस्तान के सूबा पंजाब के जिला मंडी बहाउद्दीन (पूर्व में गुजरात जिला) तहसील फालिया के गांव जोकालियां की रहने वाली थीं। बंटवारे की त्रासदी झेल कर उस गांव से हिंदुस्तान चले आए परिवारों को खोजने और संपर्क साधने का काम वहां पाकिस्तान की नई पीढ़ी कर रही है और बाकायदा सोशल मीडिया पर इसकी पूरी जानकारी भी शेयर कर रही है।
ऐसे में भिलाई की इस वयोवृद्ध मां के गुजरने की खबर पाकिस्तान के जोकालियां गांव के लिए भी सदमे से कम नहीं थी। यहां भाटिया परिवार ने अपनी मां की याद में अखंड पाठ की शुरूआत बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा सुपेला भिलाई में 22 मई को करवाई थी, जिसका समापन 24 मई को है। जब सरहद पार जोकालियां गांव के लोगों को पता चला तो वहां भी गांव की मस्जिद और घरों में 24 मई को ही स्व. प्रीतपाल के हक में दुआ करने का ऐलान किया गया है।
स्व. प्रीतपाल के पुत्र और पेशे से फोटो जर्नलिस्ट अजीत सिंह भाटिया ने बताया कि डोंगरगढ़ निवासी उनके मामा मनजीत सिंह भाटिया के माध्यम से जोकालियां गांव के लोगों से संपर्क हुआ था और मां के गुजरने की खबर भी उन्हीं के जरिए वहां पहुंची। अजीत ने बताया कि उनके दिवंगत पिता हरमिंदर सिंघ भाटिया जोकालियां गांव से 16 किमी दूर मानो चक के रहने वाले थे। दोनों का तब की परंपरा के अनुसार बाल विवाह हुआ था। बंटवारे की त्रासदी के बाद दोनों परिवार फिर मिले। इसके बाद उनके पिता रोजी-रोटी के लिहाज से डोंगरगढ़ से भिलाई आए और यहां भिलाई स्टील प्लांट को लकड़ी आपूर्ति करने के पेशे से जुड़ गए। तब से परिवार भिलाई का ही हो कर रह गया। यहां परिवार सेक्टर-2 मार्केट में रहता है।
बनाए थे मां के अंतिम दिनों के वीडियो
मां ने बताई थी बंटवारे की त्रासदी, वीडियो शेयर हो रहा पाकिस्तान में अजीत सिंह भाटिया ने अपनी मां के अंतिम दिनों में कुछ वीडियो बनाए थे, जिसमें स्व. प्रीतपाल कौर 11 साल की उम्र में अपनी जमीन छोड़ कर डोंगरगढ़ में अपने मामा हरदयाल सिंह भाटिया के घर तक पहुंचने की त्रासदी का किस्सा बयान कर रही हैं। यह वीडियो अजीत के मामा मनजीत सिंह भाटिया के माध्यम से पाकिस्तान के जोकालियां गांव तक पहुंच गया और अब जोकालिया आनलाइन के नाम से बने फेसबुक पेज पर पोस्ट होने के बाद से यह वीडियो खूब शेयर हो रहा है। इस वीडियो पर अपनी टिप्पणी करते हुए शाह मीर लिखते है-यह एक कयामतखेज दिन था। गुरुद्वारा वाली गली के साथ नूर की गली में नूर के परिवार ने सारे सिख परिवारों को पनाह दे रखी थी और लोग डट कर बलवाइयों का मुकाबला कर रहे थे कि अचानक सब खत्म हो गया। यहां के मुस्लिम परिवारों ने बरसों तक इसका सोग मनाया। इस वीडियो में स्व. प्रीतपाल बंटवारे की त्रासदी बयान करते हुए बताती हैं कि- ब्रिटिश भारत के अन्य हिस्सों की तरह गुजरात जिला (वर्तमान मंडी बहाउद्दीन) भी दंगो की आग में झुलस रहा था। जब हालात बेकाबू होने लगे तो सभी सिख परिवारों की महिलाओं और बच्चों को गांव के चौधरी गुलाम रसूल तरार के घर में पनाह दी गई। वहीं तमाम पुरुष सदस्य गांव के गुरुद्वारे में इकट्ठा होकर बलवाइयों से मुकाबले की तैयारी करने लगे।
इसी बीच दूसरे गांव से आए बलवाइयों का हमला हुआ और पूरा गुरुद्वारा खून से लाल हो गया। स्व. प्रीतपाल के पिता, चाचा और दूसरे तमाम पुरुष सदस्य मारे गए। किसी तरह चौधरी परिवार ने सभी महिला व बच्चों को आर्मी के ट्रक बुलवा कर सुरक्षित निकलवाया। इसके बाद दो-दिन भूखे-प्यासे रहते हुए वह अमृतसर पहुंची। फिर रिफ्यूजी कैम्प और वहां से डोंगरगढ़ में अपने मामा के घर डोंगरगढ़ पहुंची थीं।
फेसबुक पर गांव वालों ने लिखा अफसोसनाक खबर
स्व. प्रीतपाल कौर के गुजरने की खबर मिलने पर फेसबुक पेज जोकालियां ऑन लाइन में एडमिन आमिर शहजाद लिखते हैं-कयाम पाकिस्तान से कब्ल (पहले) हमारे गांव जोकालियां की रिहाइश (रहनेवाली) माता जी प्रीतपाल कौर जी जुमेरात 20 मई 2021 को बमुकाम भिलाई जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) में दुनिया-ए-फानी से कूच कर गईं हैं। माता जी 1936 में जोकालियां में पैदा हुईं और कयाम-ए-पाकिस्तान के कब्ल जोकालियां गुरद्वारे वाली गली में रिहाइश पज़ीर (निवासरत) थीं। आप मानो चक के सरदार हरमिंदर सिंघ जी के साथ रिश्ता-ए-अज़दवाज़ (विवाह) मेें मुंसलिक थीं। कयाम-ए-पाकिस्तान व हिंदुस्तान के क़यामत खेज दिनों में अनगिनत सोग़वार यादों के साथ खानदान के साथ पड़ोसी मुल्क भारत हिजरत कर गईं। ग्रुप टीम और अहले (निवासी) जोकालियां दुआ गो हैं के अल्लाह तआला दुख की इस घड़ी में ग़मज़दा खानदान को सब्र व हिम्मत दें… आमीन।
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