विशेष रिपोर्ट : माँ की ज्योत जलाए रखने खुद को जलाते हैं माँ के सेवादार

रायपुर- ललित राठोड़, जगदलपुर-राजेश दास, धमतरी-दीपनारायण शर्मा, कांकेर-विजय कुमार पांडेय, राजनांदगांव-संतोष दुबे, भिलाई-विमल शंकर झा, बिलासपुर- कोमल सिंह, अंबिकापुर- अजय नारायण पांडे, तखतपुर- टेकचंद कारडा, रतनपुर-मो. यूनुस मेमन की विशेष रिपोर्ट...
आस्था की ज्योति को नौ दिनों तक जलाए रखने मंदिरों के सेवादार ऐसी कसौटियों से गुजरते हैं जिसे सामान्य इंसान महसूस ही नहीं कर सकता। ज्योतिकलश को अनवरत जलाए रखने सेवादार 50 डिग्री से भी अधिक तापमान में बेहद कम आहार के साथ 9 दिनों तक कठिन तपस्या करते हैं। नंगे पांव रहकर दिन में कई बार ज्योति कलश में तेल डालने से लेकर बत्ती बदलने तक कई उपक्रम करते हैं, तब मां की चौखट पर हजारों भक्तों की आस्था की ज्योत फलीभूत होती है। हरिभूमि ने प्रदेश के प्राचीन देवी मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्जवलित करने वाले सेवादारों की दिनचर्या से लेकर नौ दिनों में उन्हें होने वाली परेशानियों को जानने की कोशिश की। इस दौरान कई रोचक तथ्य सामने आए। सेवादारों ने बताया कि कैसे वे 50 डिग्री तापमान में भी ज्योति कलश का ध्यान रखते हैं। कैसे उनकी दिनचर्या और आहार विहार में परिवर्तन भी होता है।
रोज पीते हैं 15 से 20 लीटर पानी
महामाया मंदिर में इस बार 4500 भक्तों की ज्योत जल रही हैं। प्रत्येक कक्ष में 12 सेवादार रहकर सेवा कर रहे हैं। मंदिर में वर्षों से सेवा दे रहे बैगा भल्ला का कहना है कि कक्ष के भीतर रहकर ज्योतिकलश की रक्षा करना कठिन साधना है। 50 डिग्री से ज्यादा तापमान में भी नंगे पांव रह लेते हैं। नौ दिनों की इस सेवा में भोजन में परिवर्तन खुद-ब-खुद हो जाता है। ज्योतिकक्ष में रहने से काफी पसीना बहता है। इसलिए एक दिन में लगभग 15 से 20 लीटर पानी पी जाते हैं। अधिक पानी के कारण भोजन भी कम खा पाते हैं लेकिन इससे शरीर में कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 50 डिग्री तापमान में भी केवल गमछा और धोती पहने रहते हैं।
हर दिन गर्म होता है कक्ष
रावांभाठा के बंजारी धाम में इस बार 5 हजार ज्योतिकलश प्रज्वलित किए गए हैं। यहां भी ज्योतिकक्ष में सेवादार नंगे पांव ही प्रवेश करते हैं। सेवादार टेकुराम का कहना है, पहले दिन कक्ष के भीतर तापमान कम था। अब हर दिन कक्ष गर्म होने लगा है। भीतर असहनीय गर्मी होती है। इस बीच नंगे पाव प्रवेश करने से कई बार पांव में छाले भी आ जाते है। इसके बाद भी कक्ष में ज्योति कलश का ध्यान रखते हैं। उनका कहना है, नौ दिनों तक गर्म कक्ष में रहने से शरीर काला हाे जाता है। गर्मी के कारण खाना कम हो जाता है। उपवास होने की वजह से पानी अधिक पीते है, ताकि शरीर कमजोर ना हो।
जब मीटर ने बताया 47 डिग्री तापमान
पुरानी बस्ती स्थित दंतेश्वरी मंदिर के ज्योति कक्ष में गर्म हवा बाहर निकालने एग्जास्ट पंखे की सुविधा नहीं है। इस कारण यहां भी तापमान अधिक है। हरिभूमि ने जब इसे मीटर से नापने की कोशिश की, तो तापमान 47.7 डिग्री गर्म दर्ज किया गया। सेवादार चंद्र प्रकाश साहू का कहना है, हर दिन कक्ष तप रहा है। पंचमी तक तापमान और भी गर्म हो जाएगा। जिसके बाद कक्ष में प्रवेश करना और भी कठिन हो जाएगा। वर्तमान में 15 मिनट अंदर जाते ही पसीने से तरबतर हो जाते है। सेवादार छोटू यादव ने बताया, दिन और रात में 12 सेवादार ज्योति की रक्षा करते है। प्रथम तल की तुलना दूसरे तल का ज्योति कक्ष इतना गर्म हो जाता है कि कुछ कदम चलने से ही पैरों में छाले पड़ जाएंगे।
पता हीं नहीं चलता, यही भक्ति की शक्ति
तखतपुर के महामाया मंदिर में आज 711 ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए हैं। इसके अलावा नगर के मां किला वाली चण्डी मंदिर , दुर्गा मंदिर, हथनीकला, धुंधी माई, बहुरता एवं विजयपुर किला में स्थापित मां दुर्गा की मंदिर सहित क्षेत्र में 3 हजार से भी अधिक ज्योति कलश प्रज्जवलित हैं। नगर के मां महामाया मंदिर में बारह वर्षों से सेवादार का काम कर रहे तिलक ताम्रकार ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में 35 से 40 डिग्री के बीच तापमान रहता है। जो आखिरी दिनों में काफी बढ़ जाता है। 5 वर्षों से सेवा दे रहे कुंज राम यादव, दुर्गा यादव कहते हैं कि मां की असीम कृपा है कि हम उस कक्ष में अपनी सेवा दे रहे हैं। हमें किसी भी तरह की गर्मी का एहसास नहीं होता चाहे तापमान वहां का कितना भी हो।
तापमान और धुएं से का सामाना
सरगुजा की आराध्य महामाया मंदिर परिसर के दो हाॅल में घी एवं तेल के 2300 ज्योति कलश प्रज्जवलित किए हैं, वहीं दुर्गा मंदिर परिसर के दो हाल में घी एवं तेल के 2131 ज्योति कलश प्रज्जवलित हो रहे हैं। महामाया मंदिर में चार-चार सेवकों का दल तीन शिफ्टों में जबकि दुर्गा मंदिर में 6-6 सेवक दो शिफ्ट में ज्योति कलशों की निगरानी करते हैं। इन सेवकों को हर आधे घंटे में कलश की बत्ती व तेल-घी का जायजा लेना पड़ता है। हजारों ज्योति कलश की गर्मी से पूरा कक्ष उबलने लगता है तथा कमरे का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है। कलश में तेल की मात्रा कम होने पर कक्ष धुएं से भर जाता है लेकिन बेहद विपरीत परिस्थितियों में भी इन साधकों की साधना प्रभावित नहीं होती। कमरे की गर्मी बेहाल करती है तो वे कमरे के दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं तथा सुरक्षा के नाम पर पूरे समय अपनी नाक पर रूमाल बांधे रहते हैं।
आस्था-समर्पण का प्रमाण
राजधानी के प्राचीन मां महामाया मंदिर के सेवादारों ने बताया कि यहां 24 सेवादार अलग अलग समय पर सेवा देते हैं। दिनभर ज्योति कक्ष में नंगे पैर रहना भी एक साधना है, जिसे हर कोई नहीं कर पाता है। ज्योति की आंच से कक्ष के भीतर का तापमान बढ़ने लगता है। जमीन भी गर्म हो जाती है। ऐसे में अगर कोई चंद मिनट के लिए भी कक्ष के भीतर चला जाए, तो भारी गर्मी में पसीने से तरबतर हो जाएगा। ऐसी स्थिति में बैगा और सेवादार दिनभर कक्ष के भीतर होते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक कक्ष में सेवा करते हुए शरीर में छाले पड़ जाते हैं। कमजोरी आती है, लेकिन हमें इसका थोड़ा भी अहसास नहीं होता। यही मां के प्रति हमारी आस्था और समर्पण का प्रमाण है। आखिरी दिन तक गर्मी इतनी बढ़ जाती है कि साधना बेहद कठिन हो जाती है।
माँ दंतेश्वरी मंदिर: हर 15 मिनट में डालते हैं तेल और घी
दंतेवाड़ा के प्राचीन दंतेश्वरी मंदिर में कुछ सेवादार लगभग 4 दशक से अपनी सेवाएं निस्वार्थ भाव से दे रहे है। दंतेवाड़ा के करीब पुरनतरई निवासी श्रीराम, करन, कूपेर के पूरन, उलनार के लक्ष्मण, अलनार ग्राम के त्रिनाथ समेत लगभग 70 सेवादार हैं जो दशकों से अपनी सेवा मातारानी के दरबार में दे रहे है। सेवादाराें ने बताया कि मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद का ही परिणाम है कि भीषण गर्मी में बंद कमरे में जहां हजारों ज्योत जलते है वहां 6-6 घटे के शिफ्ट में सेवा देते हैं। इस बार शक्तिपीठ दंतेवाड़ा में घी के 1001 व तेल के 4100 मनोकामना ज्योत प्रज्जवलित हो रहे है। इसी तरह जगदलपुर के दंतेश्वरी माई मंदिर में भी इस वर्ष 531 घी व 4305 तेल के ज्योत कलश कक्ष में प्रज्जवलित किए गए है। सेवादार साधुराम, मुन्ना यादव, गोविंद, रैतू, संतोष, हरचंद, रूपेन्द्र, रवि, पिंटू, बिट्टू, कमलू, गणेश आदि ने बताया कि पहले दो चार दिन गर्मी का आभास नहीं होता, लेकिन जैसे जैसे दिन आगे बढ़ता है वैसे वैसे ज्योती कलश कक्ष की दीवारे भी गर्म होनी शुरू हो जाती है।
भिलाई : मां बम्लेश्वरी मंदिर
भिलाई के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर सेक्टर 6 में सर्वाधिक 1221 मनोकामना ज्योति कलश जलाए गए हैं। इसी तरह मां शताक्षी शीतला मंदिर रिसाली में 488, शीतला मंदिर कोहका में 351, मां तुलजा भवानी मंदिर सेक्टर 7 मेें 5001 ज्योतिकलश जलाए गए हैं। बमलेश्वरी मंदिर के सेवादार सेवकराम निषाद, पूनम निषाद, बुधारु व लोकेश बताते हैं कि यह काम वर्षों करते आ कर रहे हैं। पंद्रह साल से हर नवरात्र पक्ष में सेवा देते हैं। माता की भक्ति में गर्मी का अहसास होता, न भूख ही लगता। लौ की राख को भी चम्मच से हटाते हैं। इससे बत्ती पूरे वेग से जलती है।
हर वक्त ज्योतिकलश पर रहती है नजर
धमतरी के मां विंध्यवासिनी मंदिर में 2011 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित हैं। लगातार ज्योति प्रज्जवलित रहने से कक्ष का तापमान काफी बढ़ जाता है। इस तापमान में भी सेवादार दिन-रात ज्योतिकलश जलाए रखने के लिए मेहनत करते हैं। मंदिर में पिछले 10 साल से छोटे बोरिदखुर्द नयापारा के अभयराम मंडावी सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेवादारों की नजर हर वक्त ज्योति कलश पर रहती है। मां दंतेश्वरी मंदिर में सेवा दे रहे प्रेमलाल साहू कहते हैं मां की कृपा से कठिन काम भी आसान हो जाता है। पहले ज्योति कक्ष में गर्मी और उमस महसूस होती थी, लेकिन अब तो इसकी आदत सी हो गई है। मां विंध्यवासनी मंदिर के सेवादार संतराम मंडावी ने बताया कि घी की ज्योति के लिए ज्यादा मेहनत लगती है।
25 वर्षाें से कर रहे माता की सेवा
राजनांदगांव के मां पाताल भैरवी मंदिर में ज्योतिकलश और जंवारा की देखरेख कर रहे बैगाओं में गातापारकला निवासी नारायण जंघेल इन दिनों माता की सेवा में तल्लीन हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनका रूझान सत्संग की ओर रहा। वे विगत 25 वर्षाें से माता की सेवा करते आ रहे हैं। देवी मां की ही कृपा है, जो उन्हें मंदिर में सेवा का अवसर मिल रहा है। बैगा नारायण जंघेल नवरात्रि में होने वाले कष्ट को लेकर मुस्कुराते हुए कहते हैं कि ज्योतिकलश की सेवा करने का अवसर मां की कृपा से ही मिलता है। देवी मां हर कष्टों का निवारण कर देती है।
बिलासपुर : काली मंदिर
बिलासपुर के काली मंदिर में लगभग 4000 ज्योति प्रज्ज्वलित की गई हैं। इसके लिए 30 सेवादार तैनात हैं। उमस और तपिश के बीच सेवा दे रहे रोशन यादव बताते हैं कि जैसे-जैसे नवरात्र के दिन बढ़ते हैं कक्ष और फर्श दोनों गर्म हो जाते हैं। पूरा दिन घी, तेल डालते एवं बातियों को व्यवस्थित करते गुजरता है। शरीर में पानी की कमी होने लगती है, इसलिए हर घंटे नींबू पानी पिलाया जाता है।
रतनपुर : महामाया मंदिर
रतनपुर के महामाया मंदिर में 22500 ज्योति कलश 14 कमरों में प्रज्वलित किए गए हैं। ज्योति कलश के पास निरंतर रहने के लिए 220 ज्योति रक्षकों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। फागूराम कश्यप, भागवत साहू, नारायण यादव, अशोक कुमार यादव, रमेश कुमार जैसे अनेक ज्योति रक्षक बरसों से मां महामाया मंदिर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 50 डिग्री की तपिश के बीच माता की सेवा में लगे यह ज्योति रक्षक कहते हैं कि उन्हें माता का आशीर्वाद ही है जो यह कर पाते हैं।






© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS