खैरागढ़ विश्वविद्यालय और IITTM ग्वालियर के बीच MOU, पर्यटन-संस्कृति पर साझा प्रयास की शानदार पहल

किसी भी देश के विकास में कला का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह साझा दृष्टिकोण, मूल्य, प्रथा एवं एक निश्चित लक्ष्य को दिखाता है। सभी आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य गतिविधियों में संस्कृति एवं रचनात्मकता का समावेश होता है। विविधताओं का देश, भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। अपनी वृहद् सांस्कृतिक विरासत के साथ भारत सदैव ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। पढ़िए पूरी खबर-
रायपुर। आज ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान ग्वालियर (पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की स्वयत्तसंस्थान ) के निदेशक प्रो. (डॉ.) आलोक शर्मा एवं छतीसगढ़ के खैरागढ़ में स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) आई. डी. तिवारी की गरिमामयी उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेन्द्र चौबे, सहित वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी अतुल अधोलिया, दिनेशचंद्र दूबे, प्रदीप दीक्षित, विकास शर्मा एवं अन्य फैकल्टी सदस्य उपस्थित रहे। संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ दीक्षित एवं आभार प्रदर्शन डॉ. रविंदर डोगरा द्वारा किया गया।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का पहला विश्वविद्यालय है, जो पूरी तरह से संगीत, नृत्य, ललित कला और रंगमंच के विभिन्न रूपों के लिए समर्पित है। यह संस्था इस समय कलात्मक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से लगी हुई है, जब संगीत और ललित कला समाज तेजी से परिवर्तन से गुजर रहा है और वैश्वीकरण से परिचित हो गया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) आई. डी. तिवारी ने इस एमओयू को बहुत ही महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह माननीया कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर जी के मार्गदर्शन में इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हो रहा है। पर्यटन के मामले में छतीसगढ़ में अभी भी कई अनछुए पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें वैश्विक पर्यटन नक़्शे पर स्थापित करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है, पर्यटन अपने आप में बदलता व बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जिसमें प्राचीन दौर की पैदल यात्रा से आज की डिजिटल यात्रा (वर्चुअल ट्रेवल) का सफ़र बहुत ही तेजी से हुआ है। आज हमें पर्यटन में नए स्थलों की खोज व उनके विकास को महत्त्व देने की जरुरत है, क्यूंकि पर्यटन में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। वहीं संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) आलोक शर्मा ने इस उपलक्ष्य पर नवीन शिक्षा नीति (न्यू एजुकेशन पालिसी) की तारीफ करते हुए अंतःविषय (इंटरडिसिप्लिनरी) क्षेत्रों में ज्ञान के आदान प्रदान को सराहा। उन्होंने कहा कला और संस्कृति की ओर पर्यटकों का रुझान बढ़ा है, हमें अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व करना चाहिए। कहीं न कहीं पर्यटन और कला एवं संस्कृति एक साथ जुड़े हुए हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। आईआईटीटीएम "पर्यटन शिक्षा - संस्कृति रक्षा" के मन्त्र के साथ पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा संपूर्ण देश में पर्यटन के समुचित विकास के लिए आगेप बढ़ रहा है। डॉ योगेन्द्र चौबे ने एमओयू के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीनकाल से ही पर्यटन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। और हम दोनों संस्थान सांस्कृतिक पर्यटन की दिशा में आगे काम करेंगे और संस्कृति रक्षा को सार्थक करेंगें। उन्होंने विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर, आईआईटीएम के निदेशक प्रो आलोक शर्मा, रजिस्ट्रार प्रो आईडी तिवारी, प्रो सौरभ दीक्षित, नोडल अधिकारी चंद्रशेखर बरुवा के प्रति आभार व्यक्त किया। आईआईटीटीएम के नोडल अधिकारी डॉ. चंद्र शेखर बरुआ ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि दोनों संस्थाओं के बीच हुए एमओयू का उद्देश्य फैकल्टी एंड स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, आदिवासी युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में रोजगारपरक ट्रेनिंग, केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न पर्यटन विकास योजनाओं में सहयोग, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए मिलकर काम करना आदि हैं। इस महत्वपूर्ण समझौते के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर, विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों ने अपनी बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS