भाजपा की फिर सरकार बनाने के लिए मैदान में उतरे सांसद

भोपाल। मध्यप्रदेश से निर्वाचित संसद सदस्य विधानसभा क्षेत्रों में नजर आएंगे। उनके द्वारा लाड़ली बहन योजना की ब्रांडिंग की जाएगी,तो वो राज्य सरकार के काम काज को भी घर-घर पहुंचाने में प्रदेश संगठन की मदद करते नजर आएंगे। केन्द्रीय बजट सत्र के ठीक बाद सभी सांसदों को मैदान में भेज दिया जाएगा। इनमें राज्यसभा में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसदों को भी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करना होगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में चल रही विकास यात्राओं में भाजपा संगठन ,उनके जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागेदारी है। जिनके द्वारा बूथ स्तर तक केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं को पहुंचाने के साथ-साथ योजनाओं के हितग्राहियों से संवाद कर रहे है। विधायकों और मंत्री इन यात्राओं की अगुवाई कर रहे है,तो संगठन के पदाधिकारी रणनीति बनाकर ऐसे क्षेत्रों में यात्राओं को ले जा रहेे है,जहां पर पार्टी की स्थिति अनुकूल नहीं है। कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र है,जहां पार्टी के आन्तरिक सर्वे मेें स्थिति खराब बताई जा रही है। इसकी भरपाई के लिए पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने जहां अलग से रणनीति तैयार कराई है,तो वहीं उनके द्वारा सांसदों को मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है। जानकारों की माने तो इससे जहां विधानसभा चुनाव के लिए सांसद पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे,तो वहीं उनके द्वारा अगले लोकसभा चुनाव की भी तैयारी की जाएगी।
जानकारों की माने तो सांसदों को पहले अपने -अपने लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करना पड़ेगा,इसके बाद जनता के बीज जनाधार रखने वाले सांसदों को दूसरे लोकसभा क्षेत्रों में भी भेजा जाएगा। उनके मध्यप्रदेश दौरे का कार्यक्रम अगले लोकसभा चुनाव तक जारी रहेगा। जानकारी के अनुसार फिलहाल सभी सांसदों को विधानसभा चुनाव तक दो दिन अपने लोकसभा क्षेत्र में रहने के निर्देश दिए गए हैं। संगठन ने उन्हें लाड़ली बहन योजना की ब्रांडिंग करने और सरकार के कामकाज के लिए ड़ोर टू डोर जाने के निर्देश दिए हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में दौरा करने और दौरा कार्यक्रम जारी कर पार्टी के प्रदेश दफ्तर को बताने, हर जिले में नगर पालिका, निगम से लेकर पंचायत स्तर के छोटे बड़े आयोजन में शामिल अनिवार्य किया गया है। दौरों के दौरान सांसद राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को प्रचार प्रसार करेंगे। इन सांसदों के प्रवास कार्यक्रमों पर संगठन की निगाहें रहेगी।
वोट प्रतिशत 51 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य
उल्लेखनीय है कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन को बूथ स्तर तक 51 फीसदी वोट शेयरिंग पार्टी के पक्ष में करने का लक्ष्य थमाया है। इसके लिए पार्टी ने रणनीति बनाई है। इसके लिए जहां पार्टी द्वारा ऐसे वोटर पर नजर रखी जा रही है,जो अरसे से उनके साथ खड़ा नहीं हो रहा है,तो वहीं युवाओं और महिलाओं को लेकर भी पार्टी ने कार्यक्रम तय किए है। इतना ही नहीं पार्टी ने अभी से टिकट पाने की इच्छा रखने वाले कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम के माध्यम से संदेश दे दिया है कि उन्हें अपने वोट में 51 प्रतिशत की बढ़ोतरी करनी होगी, इसके बाद ही टिकट की दावेदारी मानी जाएगी।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 41 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि पार्टी वोट बैंक बढ़ाने पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से काम कर रही हैं,लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत 51 फीसदी करने का लक्ष्य तय कर दिया है। इसी रणनीति के तहत पार्टी 37 प्रतिशत आबादी वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
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