कोदो-कुटकी के लिए MSP निर्धारित, बेहतर प्रसंस्करण के लिए भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ ने कोदो-कुटकी व रागी के बेहतर प्रसंस्करण के लिए भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता (MOU) कर लिया है।
अब राज्य लघु वनोपज संघ उक्त अनुसंधान संस्थान की तकनीकी का इस्तेमाल करके लम्बे समय तक उपयोग में आने वाले नए खाद्य पदार्थों को विकसित करने में सक्षम होगा। इन खाद्य पदार्थों को छत्तीसगढ़ शासन के प्रतिष्ठित ब्रांड 'छत्तीसगढ़ हर्बल्स' के तहत बेचा जाएगा। कोदो-कुटकी का यह मूल्य संवर्धन कार्य छत्तीसगढ़ के किसानों को बेहतर लाभ प्रदान करेगा।
साथ ही राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के अधिसूचित क्षेत्र में कोदो-कुटकी व रागी को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने का अहम निर्णय लिया है। यह कार्य छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी व रागी जैसे स्थानीय रूप से उगाए गए मिलेट के उत्पादन और प्रसंस्करण में सुधार के लिए निरंतर कार्य हो रहे हैं।
सरकार के इस निर्णय से राज्य में मिलेट की खेती में शामिल किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। इसमें कोदो-कुटकी की खरीदी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं। लघु वनोपज की खरीदी और प्रसंस्करण में उत्कृष्ट रिकार्ड को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को कोदो-कुटकी की खरीदी और प्रसंस्करण की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही बेहतर प्रसंस्करण कार्य के संपादन के लिए राज्य लघु वनोपज संघ ने भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता भी किया है।
इस संबंध में प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कोदो-कुटकी व रागी सामान्यतः वनों के आस-पास निवासरत ग्रामीणों द्वारा उगाया जाता है। पहले इसके समर्थन मूल्य नहीं होने के कारण इन उपजों का सही दाम वनांचल के किसानों को प्राप्त नहीं हो रहा था। चूंकि अधिकांश किसान जो कोदो-कुटकी व रागी का उत्पादन करते हैं, मुख्यतः वनोपज का भी संग्रहण करते हैं।
इन उपजों की खरीदी एवं मूल्य संवर्धन का कार्य राज्य लघु वनोपज संघ को सौंपा गया है। अब कोदो-कुटकी एवं रागी के मूल्य संवर्धन कार्य से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा। भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक इकाई है और यह मिलेट उत्पादन और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता रखता है।
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