Muktanjali service : मुक्तांजलि स्कीम निजी अस्पतालों में भी लागू लेकिन गाड़ियां सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही

मनीष बाघ - रायपुर। लाशों के परिवहन के लिए भले ही स्वास्थ्य विभाग (Health Department )ने मुक्तांजलि सेवा (Muktanjali service )की शुरुआत करते हुए पीड़ित परिवारों को राहत देने की स्कीम लागू कर दी है, लेकिन इसका फायदा लोगों को सिर्फ आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital )में ही मिल पा रहा है। बाकी निजी अस्पतालों में लोगों से लाश परिवहन के नाम पर लूट मची हुई है। 2018 में लागू इस स्कीम के तहत सरकारी अस्पतालों (government hospitals ) के साथ ही निजी अस्पतालों (private hospitals)में भी एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने की योजना बनी थी, लेकिन जिले में गाड़ियां अटैच करने के बाद भी सुविधा सिर्फ सरकारी अस्पताल तक ही सीमित है।
निजी अस्पतालों (private hospitals) के बाहर पीड़ित परिवारों से शव ले जाने के नाम पर मनमानी वसूली जारी है। मुक्तांजलि सेवा को लेकर हरिभूमि ने शनिवार को शहरभर में पड़ताल की। यहां निजी अस्पतालों के बाहर कहीं भी मुक्तांजलि सेवा (Muktanjali service )का पता नहीं चला। कहीं भी हेल्प लाइन नंबर या फिर हेल्प डेस्क नजर नहीं आए, जबकि निजी अस्पतालों के बाहर निजी एंबुलेंस चालकों के तैनात होने के बारे में जरूर पता चला। एंबुलेंस चालकों से जब संपर्क किया, तब उन्होंने शव ले जाने के लिए अपनी मर्जी से भाड़ा •शुल्क वसूल करने की बात कही। रायपुर (Raipur )से खरोरा (Kharora)या फिर सिमगा (Simga )और फिर धमतरी (Dhamtari)तक शव ले जाने 26 सौ रुपये से लेकर 3500 रुपये तक किराया बताया।मुक्तांजलि सेवा के तहत निजी अस्पतालों में भी निःशुल्क सेवा की व्यवस्था तय होनी थी। 30 एंबुलेंस वैन के साथ व्यवस्था जिले में आम लोगों को गमगीन माहौल के बीच शव घर तक पहुंचाने के लिए परेशान न होना पड़े, इसलिए 30 एंबुलेंस वैन की व्यवस्था की गई है। सरकारी अस्पतालों के अलावा इन गाड़ियों की तैनाती निजी अस्पतालों के बाहर भी किए जाने का प्रावधान है, लेकिन शहर व देहात के हिस्से में कहीं भी व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई है। फायदा निजी एंबुलेंस चालक उठा रहे हैं।
जवाबदारों की दलील, नियम में लोचा
मुक्तांजलि सेवा को लेकर विभागीय अफसरों व एंबुलेंस सेवा एजेंसी के जवाबदारों का कहना है कि राज्य शासन ने निजी अस्पतालों में भी स्कीम लागू करने भ ही आदेश जारी कर दिया है, लेकिन अभी भी नियम पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। इस वजह से व्यवस्था बनाने परेशानी है। प्रमाणीकृत अस्पतालों में मुक्तांजलि सेवा लागू करने की शर्त स्पष्ट नहीं हो पाने से व्यवस्था नहीं बन पा रही है।
संपर्क तब ऐसी स्थिति
केस - 1
देवेंद्र नगर फाफाडीह स्थित एक बड़े अस्पताल के बाहर एंबुलेंस चालक से संपर्क साधा। शव परिवहन के लिए पूछा, तब चालक ने दूरी के बारे में पूछा। शंकर नगर से खरोरा शव ले जाने की बात कहने पर चालक ने भाड़ा लगभग 2700 से 3000 रुपये तक बताया । निजी अस्पताल के बाहर 1099 में कोई रिस्पांस नहीं मिला।
केस - 2
मोवा स्थित एक निजी अस्पताल के बाहर भी मुक्तांजलि सेवा का कुछ पता नहीं चला। शनिवार दोपहर निजी एंबुलेंस चालक गेट के बाहर मिलने पर जब उनसे एक शव सिमगा के पास एक गांव तक ले जाने संपर्क साधा, तब चालक ने 3000 से 13200 रुपये तक रेट बताया। दूरी और इसके हिसाब से भाड़े का कोई नियम लागू नहीं होना बताया।
4 साल में डेढ़ लाख शव पहुंचाए
मुक्ताजंलि सेवा की शुरुआत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोरोनाकाल मिलाकर चार सालों के अंदर लगभग डेढ़ लाख शवों को गंतव्य स्थल तक पहुंचाया गया है। टोल फ्री नंबर 1099 में फोन आने पर शवों को घर तक पहुंचाया गया। यह आंकड़े सिर्फ सरकारी अस्पतालों के हैं। निजी अस्पतालों के बाहर प्राइवेट एंबुलेंस सेवा के कारण लोगों को परेशान होना पड़ा है।
सीधी बात
■ डॉ. कमलेश जैन, नोडल अधिकारी, मुक्तांजलि सेवा
■ सवाल- मुक्तांजलि सेवा की • योजना कहां-कहां लागू है? जवाब- पीड़ित परिवारों को राहत देने के उद्देश्य से गाड़ियां सभी जगह उपलब्ध कराया जाना है।
■ सवाल- मुक्तांजलि सेवा की एंबुलेंस सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही तैनात हो रही है? जवाब- शासन के आदेश के मुताबिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है, लेकिन इसमें कुछ दिक्कतें हैं।
■ सवाल- 2018 से लागू इस व्यवस्था में निजी अस्पतालों में लोगों को राहत नहीं मिल पा रही? जवाब- हो सकता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में ऊपर से आदेश लेकर लोगों की मदद कर रहे हैं। सवाल- शासन की मंजूरी के बाद निजी अस्पतालों में व्यवस्था बनाने क्या दिक्कतें हैं? जवाब- कुछ बिंदुओं पर अभी भी आदेश स्पष्ट नहीं है, इसलिए दिक्कत है, राज्य शासन से पुनः गाइडेंस मांगा है।
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