मुंगेली : राशन दुकान में गड़बड़झाला, सड़क पर उतरने की तैयारी में सुरीघाट के हितग्राही

मुंगेली : राशन दुकान में गड़बड़झाला, सड़क पर उतरने की तैयारी में सुरीघाट के हितग्राही
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भ्रष्ट लोगों को जब राजनैतिक संरक्षण मिल जाए और उनकी हां में हां मिलाते हुए कदमताल करने वाले अफसर मिल जाएं, तो फिर वही होता है, जो मुंगेली जिले के सुरीघाट पंचायत में हुआ है। लेकिन, अपने अधिकारों के लिए जागरुक जनता अब इस मसले को लेकर आंदोलन के मूड में है। पढ़िए पूरी खबर-

मुंगेली। जिला मुख्यालय से लगे सुरीघांट पंचायत में पीडीएस दुकान का संचालन करने वाली महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा गड़बड़ी की शिकायत पंचायत व हितग्राहियों ने एसडीएम से की है। जिस पर खाद्य विभाग ने जांच की। जांच के बाद मुंगेली एसडीएम नवीन कुमार भगत ने दुकान को निलंबित कर दिया, लेकिन भ्रष्टाचार के इस खेल पर लगाम लगाने की बजाय कुछ राजनैतिक नेता हस्तक्षेप कर संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। यहाँ तक कि अधिकारियों पर दबाव डालकर निलंबित दुकान को बहाल कराने पर अमादा हैं। नतीजा, एसडीएम ने दंड शुल्क लगाकर समूह को बहाल कर दिया।

दरअसल, सुरीघांट पंचायत में लॉकडाउन के वक्त सरकार द्वारा मिले राहत राशन समाग्री पर राशन दुकान संचालित करने वाले माँ आदि शक्ति स्वयं सहायता समूह के संचालक द्वारा गबन करने सहित 7 बिंदुआ पर शिकायत एसडीएम से की गई थी। एसडीएम के निर्देश पर खाद्य निरीक्षक सुशील टण्डन ने जांच की। जांच में जो तथ्य सामने आए, उन्हें देखकर अफसरों की आंखें भी फटी की फटी रह गई। ऐसे में, 25 जून 2021 को माँ आदिशक्ति स्वयं सहायता समूह को निलंबित करते हुए राशन दुकान को देवगांव राशन दुकान में संलग्न कर दिया गया। जब दुकान का संचालन करने के लिए देवगांव राशन दुकान को प्रभार दिया गया, उस वक्त भी बड़ी मात्रा में राशन की कमी पाई गई थी। यानी, राशन दुकान संचालक के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार करके हितग्रहियों के राशन पर डाका डाला गया था। जानकारी मिली है कि कुछ राजनैतिक लोगों के द्वारा काली करतूत को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं और कई दिनों से अधिकारियों पर दबाव बनाकर राशन दुकान को बहाल करने पर अड़े हैं। हैरानी की बात यह है कि ऐसे लोगों के दबाव में आकर मुंगेली एसडीएम द्वारा इस दुकान को महज दंड शुल्क लेकर बहाल करने का आदेश जारी कर दिया गया। एसडीएम द्वारा पीडीएस दुकान को बहाल करने के बाद पूरे पंचायत बॉडी व हितग्राहियों में बेहद आक्रोश है। ऐसे में पंचायत के पदाधिकारियों व हितग्राही सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। हितग्रहियों का साफतौर पर कहना है की जब जांच में गबन सिद्ध हो चुका है, तो महज दंड शुल्क देकर बहाल करना कितना जायज है। जबकि दुकान को नियम के अनुसार निरस्त किया जाना था।

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