लेमरू में नाचा मोर... किसने देखा? आइए आपको दिखाते हैं...

कोरबा। राष्ट्रीय पक्षी मोर आमतौर पर जंगल या फिर चिड़ियाघरों में देखने को मिलता है। मगर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एक गांव को ही मोर ने अपना बसेरा बना लिया। घरों की मुंडेर और गलियों में बेरोकटोक घूमता है। बताया जा रहा है कि कई साल पहले मोर जंगल से भटक कर गांव पहुंचा और कभी वापस नहीं लौटा। अब मोर और ग्रामीणों के बीच गहरी दोस्ती हो चुकी है।
दरअसल कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 52 किलोमीटर दूर लेमरू गांव स्थित है। पहाड़ी और घने जंगल से घिरे लेमरू गांव की खूबसूरती को राष्ट्रीय पक्षी मोर ने और बढ़ा दिया है। करीब 7 साल पहले घने जंगल से भटक ये मोर रिहायशी इलाके में पहुंचा। उस वक्त ये काफी छोटा था। ग्रामीणों ने इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि इसके दानापानी की व्यवस्था कर दी गई। लोगों के इस व्यवहार को देखकर ये मोर गांव में रुक गया। तब से ये खूबसूरत मोर गांव की सोभा बढ़ा रहा है। मोर गांव की गलियों में इत्मीनान से घूमता है। जब भूख लगती है तो गांव के बीच स्थित होटल पहुंच जाता है। होटल व्यवसायी भी इसके इशारे को समझ जाता है। भर पेट दाना चुगने के बाद मोर गांव की सैर पर निकल जाता है। सुबह और शाम के वक्त बीच चौराहे पर जब अपने पंख को फैलाकर झूमता है, उस दौरान इसे देखने के लिए भीड़ लग जाती है। मोर की मौजूदगी के कारण ये लेमरू सुर्खियों में है। इस खूबसूरत मोर को करीब से देखने के लिए दूर–दूर से लोग आते हैं। गांव के लोग इसका पूरा ख्याल रखते हैं। अब ये मोर ग्रामीणों के परिवार की सदस्य की तरह रहता है। वन विभाग की ओर से भी मोर की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है। देखिए वीडियो-
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