यथा नाम तथा गुण : शौर्य की सूझबूझ से बची 6 जिंदगियां, 26 जनवरी को होगा सम्मानित, पढ़िए 'शौर्यगाथा'

धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक गांव है सेनचुवा। यहां के 13 वर्षीय बालक शौर्यप्रताप चंद्राकर ने अपने नाम के अनुरूप सूझबूझ से 6 लोगों को मौत के मुंह में समाने से बचा लिया। खेत में काम कर रहे किसानों व मजदूरों को समय पर जानकारी देकर न सिर्फ उन्हें करंट की चपेट में आने से बचाया, बल्कि बिजली विभाग के कर्मचारी को फोन करके तुरंत मेन लाइन बंद भी करवाई, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
धमतरी विकासखण्ड के ग्राम सेनचुवा निवासी 13 वर्षीय बालक शौर्यप्रताप चंद्राकर अपने पिता भूषण चंद्राकर के साथ 13 जून 2021 को खेत देखने गया था। जहां पर पिता के साथ किसान एवं ग्रामीण महेन्द्र तारक, परसराम साहू, योगेश्वर साहू, डोमन पटेल, विजय आदि खेतों में खरपतवार की साफ-सफाई का काम कर रहे थे। इसी बीच सहसा बिजली का हाईटेंशन तार हवा के झोंके से बबूल पेड़ की एक शाखा को छू गया, जिससे टहनी में आग लग गई। इससे बेखबर किसान खेत में काम करने में मशगूल थे। पेड़ पर आग लगते देख बालक शौर्य ने चीख-चीखकर मजदूरों को खेत से बाहर निकलने को कहा। जब मजदूरों को करंट से आग लगने का पता चला तो वे सरपट दौड़कर खेत से बाहर निकल आए। महज डेढ़-दो मिनट के भीतर जली हुई टहनी के साथ तार खेतों में गिर गया, जो पानी से भरा हुआ था। अगर मजदूर खेतों में ही रह जाते तो करंट की चपेट में आकर सभी झुलस जाते। पिता ने मजदूरों के साथ खेत में जाने से पहले बालक शौर्य को मोबाइल दे दिया था, जिसका उसने विवेकपूर्ण इस्तेमाल करते हुए तत्काल छाती सब-स्टेशन के लाइनमैन सुरेन्द्र ध्रुव को कॉल करके तार के गिरने की सूचना दी, जिसके उपरांत विभाग के कर्मचारियों ने तुरंत विद्युत आपूर्ति को बंद किया। अगर समय पर शौर्य की आवाज सुनकर मजदूर व उनके पिता खेत से बाहर नहीं आते तो बड़ा हादसा घटित होना तय था। उसकी सूझबूझ और धैर्यपूर्वक कार्य से आधे दर्जन मजदूर व उनके पिता की जान बच गई।
छोटी उम्र में शौर्य की बहादुरी और अदम्य साहसिक कार्य को देखते हुए कलेक्टर पीएस. एल्मा ने बालक के नाम की अनुशंसा राज्य वीरता पुरस्कार के लिए करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य कल्याण परिषद को भेजा था, जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय 11 सदस्यीय ज्यूरी ने शौर्य को राज्य वीरता पुरस्कार के लिए नामित किया है। इस तरह आधे दर्जन लोगों को जीवनदान देने वाले शौर्यप्रताप के जज्बे को सलाम करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रशस्ति-पत्र एवं पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
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