रामलला के लिए ननिहाल का 'देवभोग' : अयोध्या की कंपनी ने खरीदा 'देवभोग' का 110 क्विंटल बीज, 12 सौ एकड़ में उगाकर रामलला के लिए तैयार होगा भोग

रायपुर। अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर में विराजेंगे रामलला। और भगवान श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ के 'देवभोग' चावल का भोग रामलला को चढ़ाया जाएगा। अयोध्या स्थित पुरारि सीड्स कंपनी 110 क्विंटल बीज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से 3.5 लाख रुपए में खरीद रही है, जिसे अयोध्या एवं उसके आसपास के क्षेत्रों के खेतों में बोया जाएगा। रामलला के विशेष भोग के लिए 110 क्विंटल बीज को अयोध्या में लगभग 1200 एकड़ खेत में बोया जाएगा, जिससे लगभग 6 हजार क्विंटल धान की फसल हो सकती है। कृषि महाविद्यालय के डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया है कि 110 क्विंटल देवभोग धान का बीज इस माह के अंत तक अयोध्या सप्लाई होना है। पुरारि सीड्स कंपनी अयोध्या के संचालक रामगोपाल तिवारी ने बताया है कि बारिश के मौसम में किसान यहां देवभोग धान का उत्पादन करेंगे। इस धान के चावल से अयोध्या मंदिर में रामलला के लिए विशेष भोग तैयार किया जाएगा।
कृषि विवि ने तैयार किया 'देवभोग'
छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक उत्पादन देने वाली धान की प्रजाति स्वर्णा जो कि आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निकाली गई, उसे और छत्तीसगढ़ की पुरानी धान प्रजाति जीराशंकर दोनों प्रजातियों की प्लांट ब्रीडिंग के बाद इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ देवभोग नाम की प्रजाति विकसित की। जो पतला चावल की सुगंधित और मुलायम चावलों की प्रजाति में गिनी जाती है। इसका धान 135-140 दिन में पकता है और उत्पादन 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आता है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार की बीज विकास समिति ने वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ देवभोग को भारत के राज्य पत्र में स्थान दिया और इसे छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लिए उत्पादन अनुशंसा दी। अब इसी चावल का भोग अयोध्या में छत्तीसगढ़ के भांचा रामलला को चढ़ाया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में किसान छत्तीसगढ़ देवभोग धान की बुवाई कर रहे हैं। रायपुर और इससे जुड़े दुर्ग जिले में पाटन क्षेत्र, धमतरी जिले में देवभोग का उत्पादन जारी है, इन क्षेत्रों के किसानों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां जुड़ रही हैं। पहले इस किस्म के धान का पौधा 130-150 सेंटीमीटर तक होता था, लेकिन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ संयुक्त रूप से परियोजना चलायी, जिसमें परमाणु विकिरण के कारण पौधे की लंबाई 110 सेंटीमीटर तक करने के साथ ही उत्पादकता बढ़ाने में भी सफलता पाई।
कृषि विवि ने तैयार की दो सौ किस्मे
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने अब तक 200 से भी अधिक वेरायटी निकाली जा चुकी है। जिसमें 1987 से अब तक 40 वेरायटी के धान शामिल हैं। इनमें महामाया, पूर्णिमा, दंतेश्वरी, बम्लेश्वरी, दुबराज, दुबराज सेलेक्शन-1, विष्णुभोग सेलेक्शन-1, बादशाह भोग, तरुण भोग इत्यादि प्रजाति के धान शामिल हैं।
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