Navratri: मां नर्मदा की पूजा-अर्चना, 108 कन्याओं ने की कलश स्थापना

अकाश सिंह पवार-पेंड्रा। मां नर्मदा (narmada) की उद्गम स्थली, पवित्र नगरी अमरकंटक (amarkantak) में हर साल नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल नवरात्रि के पहले दिन अष्टधातु से बनीं दुर्गा मां की प्रतिमा की पूजन-अर्चना की गई। इसके बाद रथ पर मां की प्रतिमा के साथ खड्ग, चंवर, छत्र के साथ 108 बच्चियां कलश लिए ढोल नगाड़ों की ध्वनि के बीच नगर भ्रमण करते हुए माता नर्मदा के उद्गम स्थल पहुंचे। मंदिर के प्रधान पूजारियों ने पूजा-अर्चना कर मां नर्मदा का जल कलश में लेकर नर्मदा मंदिर दर्शन और परिक्रमा करने के बाद वापस नगर भ्रमण करते हुए कल्याण सेवा आश्रम मंदिर पहुंचकर कलश स्थापना कर नवरात्रि (navratri) पूजन आरंभ किया।
काशी (बनारस) से पहुंचे 61 ब्राम्हण
मां नर्मदा (ma narmada) की पूजा में शामिल होने के लिए काशी से 61 ब्राम्हण पहुंचे। पंडित कमलेश्वर नाथ त्रिपाठी वेदाचार्य ने बताया कि हम कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक (amarkantak) में लगभग 25 वर्षों से नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। हम नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा कर, आवरण, हवन, रात्रि सप्तशती निशा हवन, इत्यादि करते हैं।
पांच प्रदेशों की पहुंची धमाल पार्टियां
स्वामी धर्मानंद महाराज ने बताया कि पहली बार आई केरला की चंदामेलम पार्टी जिसमें 12 व्यक्ति, ओडिसा की पूरनमासी घंट पार्टी 75 लोग, उत्तराखंड से सुप्रसिद्ध छोलिया नृत्य 14 की टीम, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (raigarh) से शैला नृत्य 65 लोग, अनूपपुर जिले के क्षेत्रिय बैगा जनजातीय की कर्मा नृत्य जिसमें 40 सदस्यों की टीम सम्मिलित हुई।
108 कन्याओं ने जल भर कर की कलश स्थापना
स्वामी हिमांद्री मुनि जी महाराज ने बताया कि पूज्यपाद तपस्वी बाबा जी के मार्गदर्शन और उनके सानिध्य में नवरात्रि (navratri) पूजन से पहले 108 कन्याओं ने आश्रम से कलश (kalash) लेकर पद यात्रा कर नर्मदा (narmada) का जल लेकर आते हैं। मां नर्मदा की पूजा के बाद ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है। हर वर्ष कलश यात्रा (kalash yatra)निकाली जाती है। इस यात्रा में मां दुर्गा (ma durga) की प्रतिमा के साथ 108 कन्याएं कलश लेकर अन्य प्रदेशों से आए नृत्य पार्टियां और साधु संत, भक्तगण, नगरवासी आदि सम्मलित होकर नगर भ्रमण करते हुए मां नर्मदा उद्गम मंदिर जा कर वापस आश्रम पहुंचे।
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