चुनावी साल में बढ़ रहे नक्सली हमले: विधायक के काफिले पर हुआ हमला, नेताओं की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

चुनावी साल में बढ़ रहे नक्सली हमले: विधायक के काफिले पर हुआ हमला, नेताओं की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
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गंगालूर में नुक्कड़ सभा के बाद बीजापुर लौट रहे कांग्रेस के काफिले को नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर टारगेट किया था। चुनावी साल में बढ़ते नक्सली हमलों को लेकर नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...

गणेश मिश्रा-बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को गंगालूर में नुक्कड़ सभा के बाद बीजापुर लौट रहे कांग्रेस के काफिले में शामिल जिला पंचायत सदस्य पार्वती कश्यप के वाहन को नक्सलियों ने पदेडा गांव से महज एक किमी दूर एम्बुश कर टारगेट किया था।

बता दें कि, जिस सड़क पर यह वारदात हुई कल की घटना से पांच दिन पहले उसी जगह पर नक्सलियों ने दो वाहनों में आगजनी कर अपनी आमद दी थी। हालांकि पुलिस इस पूरे मामले पर अंडर इंवेष्टिगेशन का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से बच रही है।

क्या नक्सलियों ने झीरम कांड दोहराने की बनाई थी योजना

वहीं ग्राउंड ज़ीरो से जो तथ्य बाहर आ रहे है, देखने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि, क्या पार्वती कश्यप नक्सलियों के निशाने पर थी, या पूरे काफिले को टारगेट कर नक्सली झीरम जैसी घटना को दोहराना चाहते थे।

नेताओं की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

चूंकि कांग्रेस नेताओं का दल विधायक विक्रम की अगुआई में गंगालूर में सभा करने गया हुआ था, ऐसे में संवेदनशील सड़क पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध क्यों नही थे? अगर थे, तो सुरक्षा मं् सेंध कैसे लगी?

वहीं गृहमंत्री के बयान के बाद विधायक के सड़क से दौरे को लेकर भी सवाल उठना लाजिम है। बहरहाल ग्राउंड जीरो से जो तस्वीरें बाहर आई हैं, नक्सलियों के किसी बड़े एम्बुश और वारदात की योजना की तरफ इंगित कर रहे हैं।

चुनावी साल में नक्सलियों के मूव्हमेंट तेज

हालांकि, चुनावी साल में बीजापुर में नक्सलियों के मूव्हमेंट तेज होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। आंकड़ो पर नजर डाले तो बीते दस साल में बस्तर में नक्सलियों ने 35 से ज्यादा नेताओं को निशाना बनाया है।

नेताओं के काफिलों पर पहले भी हो चुके हैं हमले

बीजापुर में पूर्व मंत्री महेश गागड़ा, दिवंगत राजेन्द्र पाम्भोई के काफिले पर हमले की घटना पहले ही हो चुकी है। चंद महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस दौरान नेताओं की जमीनी सक्रियता भी बढ़ेगी, ऐसे में नेताओं की सुरक्षा कहीं न कहीं बड़ा मुद्दा है। देखने वाली बात होगी कि, पिछली और कल की वारदात के बाद क्या सुरक्षा महकमा सबक लेता है या नक्सलियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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