नक्सली या ग्रामीण इस सवाल पे उलझ गई सुकमा जिले में 8 नक्सलियों की गिरफ्तारी

सुकमा: SP सुनील शर्मा ने बताया कि कोबरा 201 बटालियन और जिला पुलिस बल के जवान संयुक्त रूप से चिंतलनार थाना क्षेत्र के मोरपल्ली, तिम्मापुरम, पेद्दाबोड़केल समेत अन्य इलाकों में सर्चिंग के लिए निकले हुए थे। जब जवान मोरपल्ली के जंगल मे पहुंचे तो देखा कि कुछ लोग पुलिस पार्टी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से जंगल के रास्तों में IED प्लांट कर रहे थे। जवानों को देख भागने की कोशिश कर रहे 8 माओवादियों को पकड़ा गया था। उन्होंने बताया था कि इनमें से एक कवासी राजू बटालियन सदस्य है, इस पर 8 लाख रुपए का इनाम घोषित है। वहीं एक मिलिशिया कंपनी कमांडर 5 लाख का इनामी है। अन्य 6 नक्सली DAKMS अध्यक्ष, मिलिशिया कमांडर व अन्य पदों पर भी हैं। मौके से जवानों ने 2 नग बैटरी, 23 डेटोनेटर, 6 जिलेटिन, एक IED , 4 इलेक्ट्रॉनिक वायर समेत भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की थी।
वहीं बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि जिन्हें पुलिस ने नक्सली बताकर जेल में डाला है वो सभी निर्दोष ग्रामीण हैं। यह 1 नवंबर को सिलगेर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर वापस साइकिल से अपने घर लौट रहे थे। इधर, सुकमा के SP सुनील शर्मा ने 6 लोगों को 17 लाख रुपए के हार्डकोर इनामी नक्सली बताया है। वहीं अन्य 2 को मिलिशिया सदस्य बताया गया है। इनकी गिरफ्तारी के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है।
बेला भाटिया ने कहा है कि मूलवासी बचाओ मंच ने 1 नवंबर को सिलगेर में सभा का आयोजन किया था। इस सभा की जानकारी सोशल मीडिया में पहले से ही वायरल कर दिया गया था। सभा और रैली की जानकारी भी आम लोगों को थी। कई बड़े शहरों से वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और नागरिकों ने इस सभा में भाग लिया था। सुकमा जिले के दूरदराज गांव से भी कई लोग इस सभा में शामिल होने पहुंचे थे। 1 नवंबर को सभा पूरी होने के बाद 2 नवंबर को सभी घर लौट रहे थे।
बेला ने कहा कि 2 नवंबर की सुबह 55 लोगों का एक समूह साइकिल में अपने सामान को ढोकर मोरपल्ली के जंगल के रास्ते से अपने घर की ओर जा रहे थे। तकरीबन सुबह 9 बजे मोरपल्ली के रास्ते में फोर्स मिली। ग्रामीणों को रुकवा कर पूछताछ की गई, फिर सभी को वहां से ठीक 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिंतलनार थाना लेकर गए। पूछताछ में 2 ग्रामीणों ने बताया था कि वे 4-5 साल पहले नक्सलियों के लिए काम किया करते थे, लेकिन अब वे काम छोड़ कर गांव में ही रहते हैं। पूछताछ के बाद 3 नवंबर की सुबह 55 में से 43 लोगों को छोड़ दिया गया। इनमें से 11 पुरुष और एक महिला को सुकमा जिला मुख्यालय लेकर आए थे। सुकमा में भी इन सभी से पूछताछ की गई थी, जिनमें तीन नाबालिग पाए गए। उन्हें भी छोड़ दिया गया था। वहीं 8 लोगों को नक्सली बताकर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया। बेला भाटिया ने आरोप लगाया है कि इनमें से एक महिला भी थी, जिसका अब तक कोई पता नहीं है। उस महिला को छोड़ा गया है या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
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