वन विभाग की लापरवाही : भालुओं के आतंक का शिकार हुआ ग्रामीण, बड़ी मुश्किल से बचाई जान, ऊंट के मुंह में जीरा के समान मिली राहत राशि

वन विभाग की लापरवाही : भालुओं के आतंक का शिकार हुआ ग्रामीण, बड़ी मुश्किल से बचाई जान, ऊंट के मुंह में जीरा के समान मिली राहत राशि
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यहां एक ग्रामीण, भालूओं के हमले का शिकार हुआ है। वह किसी आवश्यक काम से अपने ससुराल गया हुआ था। यहां से वह देर रात अपने घर के लिए रवाना हुआ था। इस दौरान जंगल के रास्ते में भालूओं ने उस पर हमला कर दिया। पढ़िए पूरी खबर...

उमेश यादव-कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा वन मंडल से जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक का मामला सामने आया है। यहां कोरबा वन मंडल के विभिन्न क्षेत्रों में जंगली जानवरों के हमलों से लोग जख्मी हो रहे हैं। यहां छुईढोंढा के पास दो भालूओं के हमले से एक ग्रामीण बुरी तरह से जख्मी हो गया। पीड़ित ने किसी तरह अपनी जान बचाई है। पीड़ित को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पीड़ित को चिकित्सा के लिए वन विभाग ने सिर्फ 500 रुपये की राहत राशि दी है। यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।

दरअसल रजगामार गांव निवासी जगजीवन पटेल भालूओं के हमले का शिकार हुआ है। उसकी मानसिक स्थिति कुछ दिन से बेहतर नहीं है। वह किसी आवश्यक काम से अपने ससुराल चचिया गया हुआ था। यहां से वह देर रात अपने घर के लिए रवाना हुआ था। इस दौरान जंगल के रास्ते में भालूओं ने उस पर हमला कर दिया।

चिकित्सा के लिए केवल 500 रु. सहायता राशि

वहीं, पीड़ित के भाई विनोद ने बताया कि, आसपास के लोगों के जरिए इस घटना की उसे जानकारी मिली। इसके बाद वह मौके पर पहुंचा। यहां उसका भाई खून से लथपथ पड़ा हुआ था, जिसे वाहन का माध्यम से उसने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़ित के भाई ने आगे कहा कि, निश्चित रूप से मौके पर उसके भाई ने भालू से टक्कर ली होगी। वन विभाग के द्वारा इस मामले में चिकित्सा के लिए केवल 500 रुपये की सहायता राशि दी गई है। यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। घटना में पीड़ित के हाथ और पैर पर गम्भीर चोट आई है।

जानवरों के उत्पात को रोकने कोई कार्ययोजना नहीं

मिली जानकारी के अनुसार, वन मंडल कोरबा में जंगली जानवरों के द्वारा उत्पात मचाने और हमला करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। इस पर रोक कैसे लगे ? इस दिशा में अब तक कोई कार्ययोजना नहीं बन सकी है। देखें वीडियो...


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