बजट खर्च पर नई गाइडलाइन : कैश मैनेजमेंट सिस्टम लागू, खर्च की समय सीमा निर्धारित, 40 फीसदी राशि सितंबर तक करनी होगी खर्च

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष होने वाले चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने व्यय में गुणवत्ता लाने के लिए कैश मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया है। इसका उद्देश्य है कि वित्तीय वर्ष में पूरे बजट का सही उपयोग हो सके। साथ ही विभागों के प्लान पर व्यय के दौरान नियंत्रण रखा जा सके। दावा है कि इससे जनवरी से मार्च में व्यय का आधिक्य यानी रश ऑफ एक्सपेंडिचर नहीं होगा।
राशि खर्च करने राज्यपाल से मिली अनुमति
नए बजट को खर्च करने की अनुमति राज्यपाल विश्व भूषण हरचंदन ने दे दी है। इसके साथ ही वित्त विभाग ने सरकारी विभागों के लिए नई गाइड -लाइन भी बना दी है कि] कैसे बजट का उपयोग करना है। इसके अनुसार विभागों को पहली छह माही अप्रैल से सितंबर तक 40 प्रतिशत राशि का उपयोग करना होगा। पहली में 25 और दूसरी तिमाही में 15 फीसदी व्यय करना जरूरी होगा। इस साल 1.21 लाख का बजट पेश हुआ है।
इसी तरह दूसरी छह माही यानी अक्टूबर से मार्च तक 60 फीसदी बजट खर्च किया जाएगा। इसमें अक्टूबर से दिसंबर तक 25 और जनवरी से मार्च तक 25 प्रतिशत उपयोग किया जाएगा। बजट आबंटन की सर्वर में एंट्री दो किश्तों में पहली व दूसरी छह माही के लिए की जाएगी, न कि हर तिमाही के लिए।
ये है गाइड लाइन
व्यय की सीमा तिमाही के लिए होगी। व्यय की मानिटरिंग वित्त विभाग तिमाही आधार पर करेगा। व्यय सीमा प्रत्येक बजट नियंत्रण अधिकारी के लिए अलग-अलग होगी। वित्तीय वर्ष के अंत में मार्च में अधिकतम 15 प्रतिशत खर्च किया जाएगा। हर छह माही में तय से कम खर्च होने पर बजट राशि का 50 प्रतिशत, तृतीय तिमाही में व्यय के लिए कैरी फॉरवर्ड किया जा सकेगा। उस तिमाही में उसका उपयोग करना जरूरी होगा। विभाग को तय से कम व्यय करने का कारण वित्त विभाग को बताकर अनुमति लेनी होगी।
इसी तरह बजट का 50 प्रतिशत पैसा आवश्यकता के आधार पर अन्य विभागों भी दिया जा सकेगा। कई विभाग मार्च के अंतिम हफ्ते में योजनाओं का पूरा पैसा जारी करते हैं, अब ऐसा नहीं होगा। इसलिए हर तीसरे महीने सीमा के अनुसार बजट जारी किया जाएगा। किसी भी स्थिति में मार्च में योजना का आबंटन बिना वित्त विभाग की अनुमति के जारी या आहरण नहीं होगा। केंद्रीय योजनाओं की अंतिम किश्त भी मार्च में मिलती है। ऐसे प्रकरणों में कुछ शर्तों के साथ व्यय के लिए तय सीमा लागू नहीं होगी।
स्थापना अनुदान व गैर सरकारी संस्थाओं को अनुदान की व्यय सीमा पहली छमाही के लिए 40 एवं दूसरी के लिए 60 प्रतिशत तय की गई है। पहली छमाही में तय सीमा से कम व्यय करने पर बजट राशि का 50 प्रतिशत तीसरी तिमाही में व्यय के लिए कैरी फॉरवर्ड की जा सकेगी। इसका उपयोग तृतीय तिमाही में करना अनिवार्य होगा।
ये रहेंगे दायरे से बाहर
प्रथम व दूसरी छह माही में बजट का उपयोग व सर्वर में प्रविष्टि इन पर लागू नहीं होगी। जैसे वेतन - भत्ते, मजदूरी, कार्यालय व्यय, डाक कार्य पर व्यय, फोन का खर्च, बिजली व पानी का बिल, आकस्मिकता स्थापना, पेंशन व हितलाभ, डिक्री धन का भुगतान (भारित), तथा वाहन खरीदना।- केंद्र प्रवर्तित, केंद्र क्षेत्रीय, विदेशी सहायता प्राप्त, परियोजनाओं तथा अतिरिक्त विशेष केंद्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं के केंद्रांश पर लागू नहीं होगी।
बजट आवंटन की प्रक्रिया
बजट पुस्तिका का पालन बजट नियंत्रक अधिकारियों और उनके अधीन आहरण व संवितरण अधिकारियों को करना होगा। वे ही इन्हें बजट आबंटित करेंगे। 24 अप्रैल तक हर हाल में पहली छह माही अप्रैल से सितंबर तक का बजट देना होगा। यह काम जिला कार्यालयों तक 27 अप्रैल तक करना होगा। इसके बाद मुख्य सर्वर लॉक कर दिया जाएगा। इसके बाद भी बजट की जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी।
जिला व दूरस्थ अंचलों के लिए समुचित राशि दी जाएगी
निर्माण व वन विभाग के कार्यालयों को वक्त पर आबंटन व आहरण किया जाएगा, ताकि अंतिम समय में रश ऑफ एक्सपेंडिचर न हो। जिला व दूरस्थ अंचलों में मेडिकल रीइंबर्समेंट के लिए समुचित राशि दी जाएगी। किसी भी हालत में अतिरिक्त आबंटन की प्रत्याशा में बजट से अधिक व्यय नहीं किया जाएगा। निर्माण विभागों के बजट में डिपाजिट मद रखी है। इसका आबंटन, व्यय एवं वर्षांत से पूर्व समायोजन वित्त विभाग के निर्देश के अनुसार ही होगा।
केंद्रीय वित्त अनुदान की राशि राज्य सरकार के खाते में जमा होने पर खर्च होगी
इसी तरह नाबार्ड पोषित योजनाओं में उसकी मंजूरी के बिना खर्च नहीं होगा। केंद्रीय योजनाओं, केंद्रीय वित्त आयोग से मिले अनुदान राज्य सरकार के खाते में जमा होने के बाद ही खर्च किए जाएंगे। ऐसे मामले जिनमें राज्य शासन किसी संस्था या व्यक्ति को ऋण देता है, वित्त विभाग की अनुमति के बगैर जारी नहीं होगा।
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