अवैध निर्माण को वैध करने नया नियम, दो मंत्रियों की उपसमिति बना रही गाइडलाइन

अवैध निर्माण को वैध करने नया नियम, दो मंत्रियों की उपसमिति बना रही गाइडलाइन
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प्रदेश में अवैध निर्माण को नियमित करने राज्य सरकार जल्द नया नियमितीकरण नियम लाएगी। अगस्त 2016 तक अवैध या छोटी-मोटी खामियों वाले हजारों निर्माण, जिसमें घर, दुकान, व्यावसायिक कांप्लेक्स और अन्य तरह के निर्माण शामिल हैं, उन लंबित प्रकरणों को नए नियम में वैधानिक रूप देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

रायपुर. प्रदेश में अवैध निर्माण को नियमित करने राज्य सरकार जल्द नया नियमितीकरण नियम लाएगी। अगस्त 2016 तक अवैध या छोटी-मोटी खामियों वाले हजारों निर्माण, जिसमें घर, दुकान, व्यावसायिक कांप्लेक्स और अन्य तरह के निर्माण शामिल हैं, उन लंबित प्रकरणों को नए नियम में वैधानिक रूप देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके लिए मंत्रियों की दो सदस्यीय उपसमिति बनाई गई है, जिसमें आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के अलावा मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू के साथ 4 अधिकारियों को शामिल किया गया है। समिति की पहली बैठक हो चुकी है। अब दूसरी बैठक जल्द होगी, जिसमें गाइडलाइन को लेकर अहम चर्चा होगी।

अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने और गरीब तथा मध्यमवर्गीय ऐसे परिवार, जिनके मकान, दुकान और कमर्शियल कांप्लेक्स का नियमितीकरण अब तक नहीं हुआ है, उन्हें नए नियम में निर्धारित शुल्क लेकर निर्माण को वैधानिक रूप से नियमित करने का मौका दिया जाएगा। 2016 में प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने अवैध निर्माण के नियमितीकरण के लिए एक ऐसा कानून बनाया था, जिसमें अकेले राजधानी रायपुर में कुल 23 हजार आवेदन आए, जिसमें से 17 हजार मकान, कांप्लेक्स, भवन के आवेदन वैध किए गए। 6 हजार आवेदनों को खामियों के चलते रिजेेक्ट किया गया था। इसमें 1 नवंबर 1984 से अगस्त 2016 के बीच हुए अवैध निर्माण को नियमित करने का मौका दिया गया था। शहर में बड़ी संख्या में लोगों ने इस छूट का फायदा उठाया। खासकर के वीआईपी रोड इलाके में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण के नियमितीकरण को मंजूरी मिली।

निगम को धेलाभर नहीं , सरकार को 100 करोड़ की कमाई

सूत्रों के मुताबिक 4 साल पहले हुए अवैध निर्माण के नियमितीकरण के एवज में लिए गए जुर्माने से राज्य शासन को रायपुर से 30 से 40 करोड़, दुर्ग से 30 करोड़, बिलासपुर से 10 करोड़ और राजनांदगांव से 20 करोड़ की एकमुश्त राशि मिली। कुल मिलाकर 100 करोड़ की कमाई तत्कालीन भाजपा शासनकाल में अवैध निर्माण के नियमितीकरण शुल्क के एवज में हुई। यह सारा काम टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, नगर निगम के नगर निवेश विभाग एवं राजस्व विभाग के सहयोग से हुआ। हैरानी की बात ये रही कि रायपुर नगर निगम को 40 करोड़ में से एक धेला तक अवैध निर्माण नियमितीकरण शुल्क के रूप में आज तक नहीं मिला। पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से इस बारे में कई बार आग्रह किया, पर नगर निगम को इससे फूटी-कौड़ी तक नहीं मिली।

उपसमिति में नगरीय प्रशासन मंत्री शामिल नहीं

अवैध निर्माण को नियमित करने प्रदेश सरकार नया नियम बना रही है, जिसमें प्रदेश के दो मंत्री समिति में शामिल हैं, पर नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिव डहरिया को इस समिति में नहीं रखा गया है। जबकि सारा मामला नगरीय प्रशासन विभाग से जुड़ा है। नगर निगम को इस कार्य में क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया है, पर समिति में नगरीय निकाय मंत्री का नाम नहीं है। केवल राजस्व एवं आवास तथा पर्यावरण मंत्री ही सदस्य के रूप में शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि अवैध निर्माण के नियमितीकरण कार्य में नगर निगम की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसके इंजीनियर सर्वे कर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को फाइल पुटअप करते हैं। नगर निगम के अलग-अलग जोन में अवैध निर्माण को नियमित करने संबंधी आवेदन लेने की व्यवस्था रहती है।

40-60 का हो अनुपात

अवैध निर्माण को लेकर नियमितकीरण की नई योजना प्रदेश में जल्द लागू होनी चाहिए, क्योंकि हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं। गरीब व मजदूर तथा मध्यम वर्ग के लोगों को नए नियम का इंतजार है। नगर निगम में इस संबंध में जल्द बैठक होगी। नियमितीकरण से मिलने वाले शुल्क में 40 फीसदी राशि निगम को एवं 60 फीसदी राज्य सरकार को मिले, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।

- श्रीकुमार मेनन, अध्यक्ष, नगरीय नियोजन एवं भवन अनुज्ञा विभाग

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