18वीं बटालियन की सुध लेने वाला कोई नहीं : 10 साल में मुख्यालय और आवासीय परिसर तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं, पीने के पानी तक का पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पाया

18वीं बटालियन की सुध लेने वाला कोई नहीं : 10 साल में मुख्यालय और आवासीय परिसर तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं, पीने के पानी तक का पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पाया
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18वीं बटालियन छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल की स्थापना तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था। तब से लेकर आज तक यहां पर तैनात सुरक्षा बल मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। पढ़िए पूरी खबर...

रविकांत सिंह राजपूत-मनेंद्रगढ। विकास की बात तो सभी सरकारें करती हैं, मगर क्या धरातल पर विकास सच में दिखता है या विकास की गाथा सिर्फ फाइलों तक सिमट कर रह गई है। हम आज उसी विकास की बात कर रहे हैं, जहां सरकार तो बदल गई, पर अब तक हालात नहीं बदल सके। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर जिले में सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर सुरक्षा बल के अधिकारी कर्मचारियों ने कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधी से लेकर जिले के कलेक्टर तक को अवगत कराया, मगर इनकी इस मांग पर किसी नें गंभीरता नहीं दिखाई।

उल्लेखनीय है कि नवगठित जिला मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर की जहां आज से लगभग दस वर्ष पूर्व 18वीं बटालियन छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल की स्थापना तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था। तब से लेकर आज तक यहां पर तैनात सुरक्षा बल मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। 18वीं बटालियन की स्थापना मनेन्द्रगढ के चैनपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र में 2013 में की गई थी, मगर विडंबना देखिए की नेशनल हाईवे से लगभग 1.7 किलोमीटर पर बटालियन कार्यालय के साथ ही आवास तो बना दिया गया। लेकिन अब तक इन जवानों के लिए पक्की सड़क नहीं बन पाई। पक्की सड़क की मांग पर किसी नें गंभीरता नहीं दिखाई, और आलम यह है कि सडक जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रहने के बावजूद बटालियन के जवान सुरक्षा व्यवस्था में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने में कोई कसर बाकी नहीं छोडते।



पानी की भी पर्याप्त सुविधा नहीं

ग्राम पंचायत चैनपुर के सरपंच उजित नारायण सिंह का कहना है की 18वीं बटालियन के जवानों के लिए सडक और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी वर्षों से है, मगर इसको पूरा करने के लिए बजट की समस्या है। इसके लिए इतना बडा बजट चाहिए कि पंचायत स्तर से पूरा नहीं किया जा सकता। फिर भी सडक जैसी व्यवस्था को समय-समय पर मिट्टी डालकर मरम्मत की जाती है। बरसात के दिनों में सडक की हालत फिर खराब हो जाती है। अब देखना होगा की जनता की सुरक्षा में अपनी जान दांव पर लगाने वाले सुरक्षा बल के जवानों को आने वाली दिक्कतों के प्रति शासन-प्रशासन कब गंभीर होते हैं।





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