चौंकाया नहीं.. डाक्टर रमन ने की पैरवी और साय बन गए मुख्यमंत्री...

चौंकाया नहीं.. डाक्टर रमन ने की पैरवी और साय बन गए मुख्यमंत्री...
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चन्द्रकान्त शुक्ला

तमाम अटकलों, कयासों के बीच छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री बना दिया है। माना जा रहा है कि, प्रदेश के सबसे वरिष्ठ नेता डा. रमन सिंह भी यही चाहते थे। कहा तो यह भी जा रहा था कि डा. रमन को हिंट कर दिया गया है और उनकी पसंद पूछ ली गई थी। आज विधायक दल की बैठक से पहले पर्यवेक्षकों, प्रदेश प्रभारियों, चुनाव संचालकों के साथ डा. रमन और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की मौजूदगी में पहले ही रायशुमारी कर ली गई। फिर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के पास 'ऊपर से' एक फोन आया और विधायकों के सामने विष्णुदेव साय के नाम का ऐलान कर दिया गया।

आज भी बिलकुल वैसा ही हुआ, जैसा कि आमतौर पर भाजपा में फैसले होते रहे हैं। पहले बड़े लोगों में रायशुमारी फिर ऊपर मैसेज और फोन के बाद केवल तालियों का शोर, आतिशबाजी... ढोल-नगाड़ों का शोर... हर्ष और उल्लास से नाचते-गाते भाजपा कार्यकर्ता। कहीं कोई विरोध नहीं, कोई ना नुकुर नहीं। बस दस मिनट के भीतर सीएम कारकेट की गाड़ियां भी प्रदेश भाजपा कार्यालय में पहुंच गईं।

वैसे भी भाजपा के चुनावी चाणक्य और गृहमंत्री अमित शाह कुनकुरी की सभा में बोल ही गए थे कि, विष्णुदेव साय को विधायक बनाइए... हम इन्हें बड़ा आदमी बना देंगे। भाजपाइयों के बीच इस बात को पक्का माना जाता है कि, अमित शाह जो कहते हैं वो करते जरूर हैं। शायद कुनकुरी में ये बात कहने से पहले ही उन्होंने भविष्य के बारे में तय कर लिया होगा।

बहरहाल जिस अंदाज में भाजपा के फैसले चौंकाते रहे हैं और प्रदेश प्रभारी श्री माथुर ने कल भी कहा कि, नाम चौंकाने वाला होगा। लेकिन इस नाम ने भाजपा और छत्तीसगढ़ की सियासत को समझने वालों को नहीं चौंकाया। विष्णुदेव साय दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, सांसद और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। तो उनके पास पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव है। प्रदेश में पार्टी के सोबर आदिवासी चेहरा हैं। पार्टी में मार्गदर्शकों की कोई कमी भी नहीं है। बहरहाल अब यह कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने जिस भरोसे के साथ भाजपा के पक्ष में भारी मतदान किया, उस भरोसे का पार्टी ने मान रख लिया है।

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