अब मौत का समय बताएगी कलाई में बंधी घड़ी, रिसर्च को मिली अनुमति

रायपुर। कलाई में बंधी घड़ी का सेंसर लगभग चार घंटे पहले हार्ट अटैक के खतरे के बारे में जानकारी देगा। इसके जरिए संबंधित मरीज के उपचार के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे। भारतीय चिकित्सकों के इस रिसर्च को अमेरिकन काॅलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने स्वीकार किया है। रिसर्च टीम में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट तथा एसीआई प्रमुख डाॅ. स्मित श्रीवास्तव भी शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार चिकित्सकों द्वारा हार्ट अटैक के खतरे को पहले ही इंगित करने वाले सेंसर तैयार करने के लिए बड़ी संख्या में ऐेसे मरीजों का अध्ययन किया गया है, जो दिल की बीमारी से पीड़ित हैं। डाॅ. स्मित श्रीवास्तव सहित रिसर्च टीम अपने सेंसर और उससे संबंधित शोध के दस्तावेज मार्च महीने में न्यू ऑरलियन्स, यूएसए में होने वाले एसीसी वैज्ञानिक सत्र में 'लेट-ब्रेकिंग ट्रायल' के रूप में पेश करेंगे, जिसके बाद इस सेंसरयुक्त घड़ी का निर्माण करने वाली कंपनी तय की जाएगी।
डाॅ. श्रीवास्तव मे बताया कि रिसर्च में इस बात का जिक्र है कि रिस्ट बैंड सेंसर के जरिए हार्ट के मसल्स में मौजूद एक तरह के प्रोटीन ट्रोपोनिन के स्तर का अध्ययन करेगी, जिसके अधिक होने पर संबंधित शख्स को हृदयाघात की आशंका के संकेत देगी। लंबे रिसर्च के बाद इस रिस्ट बैंड को तैयार करने वाली टीम में राजधानी में स्थित प्रदेश के एकमात्र हार्ट के शासकीय अस्पताल के काॅर्डियोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अलावा काॅर्डियोलॉजिस्ट डॉ. शांतनु सेनगुप्ता, डॉ. महेश फुलवानी, डॉ. अजीज खान, डॉ. हर्षवर्धन मर्डीकर रिसर्च टीम में शामिल हैं।
हृदयरोग से हर साल 179 लाख मौतें
एक आंकड़े के मुताबिक हृदयरोग की वजह से हर साल विश्व में अनुमानित 179 लाख लोगों की जान जाती है। इससें एक तिहाई लोग कम आयु के होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सीवीडी के उच्चतम जोखिम वाले लोगों की पहचान करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें उचित उपचार मिले, इससे समय से पहले होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
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