चैंबर को एक हजार एकड़ जमीन देने के लिए एनआरडीए बदलेगा लैंड यूज

रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा होलसेल कॉरिडोर मार्केट नवा रायपुर में बनाने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने जमीनों के लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद चैंबर ऑफ काॅमर्स ने उपरवारा का चयन कर जमीन की मांग की। यहां पर आधे से अधिक जमीन पर कोर्ट से स्टे होने से इसमें दिक्कत आ रही थी। अब एनआरडीए ने इसे पूरा करने रास्ता निकालने सात सेक्टर की जमीन का उपयोग बदलने जा रही है। आवास एवं पर्यावरण विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए 15 दिन में दावा-आपत्ति मंगाई है।
नवा रायपुर की बसाहट को लेकर अभी तक एक लेयर में ही काम हो रहा था। अब लेयर-2 को भी विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा। छेरीखेड़ी क्षेत्र में लेयर-2 में विकास कार्य को लेकर ध्यान नहीं दिया गया। अब यहां पर एक सड़क एयरपोर्ट तक बनाए जाने का प्रस्ताव है। यहां पर विभिन्न जमीनों के लैंडयूज व्यावसायिक और आवासीय दोनों हैं, उसे परिवर्तित कर मिश्रित प्रयोग के लिए किया जा रहा है। यहां पर राज्य सरकार ने कई संस्थाओं को जमीन देने की घोषणा के बाद जमीन की उपलब्धता को देखते हुए बड़ा परिवर्तन किया जा रहा है। ग्राम उपरवारा के अलावा झांकी, केंद्री, बेंद्री, परसट्टी और ग्राम निमोरा की जमीन का उपयोग बदला जाएगा। यहां पर पब्लिक और सेमी पब्लिक प्रयोजन के लिए जमीनों को चिन्हाकित किया गया था, जिसे मिश्रित उपयोग करने का अनुशंसा की गई है। यहां पर नए प्रोजेक्ट आने से जमीन की कीमतों में वृद्धि होगी।
आबाद होगा नवा रायपुर
आधा दर्जन गांवों में लैंडयूज में परिवर्तन करने से यहां पर लोग आकर्षित होंगे। नवा रायपुर विकास प्राधिकरण इस जमीनों को बेच कर अपनी स्थिति तो मजबूत करेगी। आवास और अन्य अधोसंरचना निर्माण से इसे आबाद करने में महत्वपूर्ण होगा। राज्य सरकार ने नए होलसेल कॉरिडोर के लिए जो जगह चुनी है, वहां से एयरपोर्ट कार्गो, नवा रायपुर में बनने वाले रेलवे स्टेशन, डूमरतराई थोक बाजार के साथ ही दूसरे जिलों को जोड़ने वाली सड़क पास हैं।
हर तरह की सुविधा
नवा रायपुर में बनने वाले नए होलसेल मार्केट में हर तरह की सुविधा होगी। यहां ट्रांसपोर्ट परिसर के साथ ही अस्पताल, बैंक, एटीएम, वेटिंग हॉल, फूड स्टॉल, होटल समेत सभी तरह की सुविधाएं रहेंगी। इसकी बसाहट एक शहर की तरह होगी, जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी। इसे ध्यान में रखते हुए आवास एवं पर्यावरण विभाग ने लैंडयूज करने का निर्णय लिया है।
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