राजभाषा दिवस : सीएम के हाथों सम्मानित हुए छत्तीसगढ़ के 13 साहित्यकार, पुस्तकों का भी विमोचन

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभाषा दिवस के अवसर पर 13 साहित्यकारों को सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने संबोधित करते हुए प्रदेशवासियों को राजभाषा दिवस की बधाई दी। यह समारोह मुख्यमंत्री निवास में आयोजित किया गया था। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के इस आयोजन में मुख्यमंत्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ी हमारी मातृ भाषा और हमारा अभिमान है। इसको संवारने और आगे बढ़ाने का काम हम लगातार कर रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि, उनकी सरकार ने अरपा पैरी के धार... को राजगीत बनाया और सरकारी स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई-लिखाई शुरू करवाई। हर छत्तीसगढ़िया की जिम्मेदारी है कि वो छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने का काम करे। सरकार स्थानीय तीज त्यौहारों और खेलों को बढ़ावा देकर देश दुनिया में छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने का काम कर रही है। कार्यक्रम में 10 साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। यह पुस्तकें राजभाषा आयोग ने प्रकाशित की हैं। इस दौरान संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. और संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य भी मौजूद रहे।
ये साहित्यकार हुए सम्मानित
जागेश्वर प्रसाद जिला- रायपुर, रामेश्वर शर्मा जिला रायपुर, डॉ जेआर सोनी जिला- दुर्ग, पीसी लाल यादव जिला सक्ती, दुर्गा प्रसाद पारकर जिला रायपुर, रामनाथ साहू जिला- रायपुर, शसोरिन चन्द्रसेन जिला- महासमुंद, परमानंद वर्मा जिला खैरागढ़, बुधराम यादव जिला बिलासपुर, रंजीत सारथी जिला- सरगुजा डॉ. शैल चन्द्रा जिला धमतरी, डुमन लाल ध्रुव जिला धमतरी और रुद्र नारायण पाणिग्राही जिला-जगदलपुर।
इन किताबों का हुआ विमोचन
महेत्तरू मधुकर की रचना गुरतुर भाखा, डॉ. सुरेश कुमार शर्मा की वाल्मिकी रामायण, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर की बंगस्य छन्द अंजोर, तेजपाल सोनी की श्रीमदभागवत गीता, सुमन लाल ध्रुव की गांव ल सिरजाबो, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा की अमरईया हे मनभावन, कमलेश प्रसाद शरमा बाबू की कुटिस बंदरा जझरग-जझरग, डॉ. शिल्पी शुक्ला की छत्तीसगढ़ महिला लेखन और उर्मिला शुक्ल की रचनाएं व पी.सी. लाल यादव की कृतियों का विमोचन हुआ है।
ज्योतिबा फुले को अर्पित किया श्रद्धासुमन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को अपने निवास कार्यालय में समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। मुख्यमंत्री ने कहा, महात्मा फुले समाज को अंधविश्वास और कुप्रथाओं से मुक्त करना चाहते थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति व्यवस्था और उस पर आधारित भेदभाव के प्रबल विरोधी थे। महात्मा ज्योतिबा फुले की सेवा भावना और विचार मूल्य हमें सदा दीन-दुखियों की सेवा और समाज में समता स्थापित करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
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