BREAKING : रायपुर AIIMS में शुरू OPD की सेवाएं, गाइडलाइन का पालन जरुरी

रायपुर। एम्स में OPD शुरू कर दिया गया है। हालांकि मरीजों को निर्धारित संख्या में ही बुलाया गया है। प्रबंधन ने कोरोना गाइडलाइन के पालन के साथ OPD शुरू करने का फैसला लिया है। निर्देश दिए गये हैं OPD में मास्क पहनना और सेनीटाइजर का प्रयोग करना जरूरी होगा। इसके अलावा मरीज अपने एक परिजन के साथ ही आ पाएंगे। जारी किये गये गाइडलाइन के मुताबिक थर्मल स्क्रिनिंग और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
बता दें कोरोना संक्रमण के प्रसार के बाद एम्स में नियमित ओपीडी सेवाएं 24 मार्च से बंद कर दी गई थी। हालांकि ट्रामा और इमरजेंसी सेवाएं जारी रखी गई थी। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए एम्स प्रबंधन ने नियमित ओपीडी सेवाएं बंद करने का निर्णय लिया था। इस दौरान आयुष भवन में कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग और काउंसिलिंग जारी रहेगी। ट्रामा और इमरजेंसी में भी चिकित्सक टीम उपलब्ध थी।
एम्स में कोरोना मरीजों का इलाज
एम्स के मुताबिक रायपुर में कोविड-19 का पहला रोगी 18 मार्च, 2020 को आने के 100 दिन बाद अब तक 360 रोगियों को स्वस्थ करके दोबारा नई शुरूआत करने के लिए काउंसलिंग दी जा चुकी है। 100 दिन के इन संघर्षपूर्ण दिवसों में एम्स ने 54,512 सैंपल की जांच की और 1,109 सैंपल को पॉजीटिव पाया। वर्तमान में एम्स 160 कोविड-19 रोगियों के साथ इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ तक ले जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने बताया कि इस साल 18 मार्च को लंदन से लौटी एक छात्रा के पॉजीटिव पाए जाने के तुरंत बाद उन्हें एम्स के कोविड-19 वार्ड में एडमिट किया गया था। सी-ब्लॉक में बने इस आइसोलेशन वार्ड में पहली रोगी इलाज किया गया। इसके बाद आयुष में लगभग 100 बैड का पृथक कोविड-19 वार्ड बनाया गया। इसमें बढ़ते रोगियों को नियमित उपचार प्रदान किया गया। बाद में रोगियों की संख्या और अधिक होने के बाद उन्हें सी ब्लॉक में भी उपचार प्रदान करने की सुविधा प्रदान की गई। 25 जून तक एम्स के आयुष भवन और सी-ब्लॉक में 160 रोगी और 5 संदिग्ध रोगी कोविड-19 का उपचार प्राप्त कर रहे थे।
प्रो. नागरकर ने बताया कि एम्स में गंभीर कोविड-19 रोगियों को उपचार प्रदान किया जा रहा है जिसमें बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, बच्चे और किसी अन्य गंभीर बीमारी के साथ कोविड-19 से ग्रस्त रोगी प्रमुख हैं। इसके बाद भी एम्स में रिकवरी रेट उत्साहवर्द्धक बना हुआ है। अभी तक 34 बुजुर्ग, 193 गर्भवती महिलाएं और 91 बच्चों को कोविड-19 का उपचार प्रदान किया जा चुका है। नौ रोगियों की मृत्यु हुई है, जिसमें सभी कोमोर्बिडीटी के थे। इनमें कैंसर, टीबी और एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रोगी शामिल थे।
कोविड-19 के सैंपल की जांच के लिए भी एम्स ने निरंतर प्रयास किए और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वीआरडी लैब की क्षमता को निरंतर बढ़ाया। रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एम्स ने आरएनए एक्स्ट्रेशन मशीन और एक अतिरिक्त आरटी-पीसीआर मशीन की व्यवस्था की। ये दोनों मशीनें अत्याधुनिक हैं और कोविड-19 के सैंपल टेस्ट तेजी से करने में काफी मददगार होंगी। 25 जून तक यहां 54512 सैंपल की जांच की गई। इसमें 1109 पॉजिटिव पाए गए। वर्तमान में यहां औसतन 1000 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं।
प्रो. नागरकर का कहना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राज्य सरकार के निरंतर सहयोग और आईसीएमआर की ट्रेनिंग और प्रोटोकॉल की मदद से एम्स रायपुर कोविड-19 की चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम हो सका। 100 दिन की इस यात्रा में टेस्टिंग किट और पीपीई किट जैसे महत्वपूर्ण किट्स की उपलब्धता निरंतर बनी रही। उन्होंने इसके लिए तीनों को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि 700 से अधिक चिकित्सकों और नर्सिंग स्टॉफ को कोविड-19 के इलाज की प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी गई।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS