केंद्र से होता है संचालन इसलिए स्वास्थ्य अमला भी बेबस

रायपुर। स्वास्थ्य योजना के तहत उपचार व्यवस्था में उपजी परेशानी आयुष्मान सर्वर की अनियमितता के कारण जस की तस बनी हुई है। इसकी वजह से मरीज के साथ निजी अस्पताल प्रबंधन भी दिक्कत से जूझ रहे हैं। इस सर्वर का संचालन केंद्रीय स्तर पर होता है, इसलिए स्वास्थ्य अमला भी बेबस साबित हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक आयुष्मान योजना के तहत नए कार्ड बनने में अप्रूवल की समस्या की वजह से अस्पतालों में मरीज की भर्ती प्रक्रिया में और अस्पताल से छुट्टी होने की प्रक्रिया में विलंब की समस्या अभी भी बनी हुई है। इसकी एकमात्र वजह आयुष्मान योजना के राष्ट्रीय पोर्टल का सर्वर स्लो होना है, जिसमें अब तक सुधार नहीं हुआ है और अस्पताल में भर्ती होने आने वाले मरीजों को अभी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक सबसे अधिक समस्या नवंबर में बने आयुष्मान कार्ड को लेकर आ रही है, जो ब्लाक नहीं हो पा रहा है। इस बारे में स्वास्थ्य योजना से जुड़े प्रदेश स्तर के अधिकारियों का कहना है कि समस्या केंद्रीय स्तर की है, इसलिए उनके हाथ में कुछ नहीं है। समस्या की जानकारी कई बार केंद्रीय स्तर पर जिम्मेदारों को दी जा चुकी है, मगर अब तक इस पर किसी तरह का समाधान नहीं निकल पाया है।
निजी अस्पताल में पैसे खर्च
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी मरीजों को पचास हजार से लेकर पांच लाख तक के उपचार की सुविधा दी जाती है। शासकीय अस्पताल में तो मरीजों का किसी तरह उपचार हो जाता है, मगर कार्ड ब्लाक नहीं होने की वजह से निजी अस्पतालों में मरीजों को पैसे खर्च करना मजबूरी है।
भुगतान भी अटक रहा
सर्वर स्लो होने की वजह से अस्पतालों को भुगतान में भी देर हो रही है। ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट साफ्टवेयर के स्लो होने की वजह से अस्पतालों के भुगतान अटक रहे हैं, जिससे छोटे और मध्यम स्तर के नर्सिंग होम को रखरखाव में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिशएशन द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी भी लिखी जा चुकी है।
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