जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं उन्हें ऑनलाइन शिक्षा देने का फरमान, बजट में भी कटौती

जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं उन्हें ऑनलाइन शिक्षा देने का फरमान, बजट में भी कटौती
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रमों में भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। अब तक 15 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्ति जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं होता था

रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रमों में भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। अब तक 15 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्ति जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं होता था, उन्हें ऑफलाइन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अक्षर ज्ञान कराया जाता था अर्थात साक्षर बनाया जाता था। लेकिन अब साक्षरता अभियान ऑफलाइन नहीं बल्कि ऑनलाइन मोड में चलेगा। बीते दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की बैठक में यह फैसला लिया गया है। इस फरमान के बाद राज्य साक्षरता मिशन के अधिकारी-कर्मचारी असमंजस में हैं।

उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि जिन्हें अक्षर ज्ञान ही नहीं है वे ऑनलाइन गैजेट का इस्तेमाल कैसे कर सकेंगे? इसके अतिरिक्त सामान्यत: असाक्षर व्यक्ति इतने संपन्न नहीं होते हैं कि उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गैजेट्स या इस तरह की चीजें हो। साक्षरता मिशन के लिए केंद्र से मिलने वाले बजट में भी कटौती हुई है। राज्य साक्षरता मिशन द्वारा ऑफलाइन मोड में ही साक्षर करने की तैयारी है, क्योंकि साक्षरता मिशन ऑनलाइन संचालित किए जाने में कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें हैं।

पहले 2 साल में 5 करोड़, अब 5 साल के लिए 3 करोड़

कोरोना काल में साक्षरता अभियान बंद रहा था। पूर्व में केंद्र द्वारा साक्षरता मिशन के लिए 2 साल में 5 करोड़ रूपए प्रदान किए थे। अब आने वाले 5 सालों के लिए मात्र 3 करोड़ दिए गए हैं। अर्थात राशि लगभग आधे से भी कम कर दी गई है। साक्षरता मिशन के लिए छपने वाले किताबें अब नहीं छापी जाएंगी। ब्लैक बोर्ड के माध्यम से ही लोगों को अक्षर ज्ञान दिया जाएगा। इसके अलावा सर्वे-पत्र के प्रकाशन पर भी राेक लगा दी गई है। पहले साक्षरता अभियान से संबंधित सर्वे-कार्य के लिए पत्रों का प्रकाशन होता था। अब ऐप के जरिए ही सर्वेक्षण किया जाएगा।

स्वयंसेवी शिक्षकों की मदद

चूंकि बजट कम है और किताब का भी प्रकाशन नहीं किया जाना है, इसलिए अब स्वयंसेवी शिक्षकाें की मदद ली जाएगी। पहले प्रत्येक गांव में लोगों को साक्षर करने के लिए एक महिला व एक पुरूष प्रेरक की नियुक्ति की जाती थी। उन्हें मासिक 2 हजार रुपए वेतन भी प्रदान किया जाता था। खर्च बचाने प्रेरक का पद पहले ही समाप्त कर दिया गया है। अब साक्षरता अभियान संचालित करने स्वयंसेवकों की मदद ली जाएगी। कोई भी शिक्षित व्यक्ति वॉलंटियर के रूप में अपनी सेवा दे सकेगा। नए बदलाव 2023 से ही लागू होंगे।

बदलाव किए गए हैं

मिशन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कई बदलाव किए गए हैं। इसमें ऑनलाइन शिक्षा भी शामिल है।बजट मिलते ही कार्य शुरू करेंगे।

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