बंद हुई खाद में ओवररेटिंग की जांच, 1270 की जगह 1350 में बेच रहे डीएपी, यूरिया भी महंगी

बंद हुई खाद में ओवररेटिंग की जांच, 1270 की जगह 1350 में बेच रहे डीएपी, यूरिया भी महंगी
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छत्तीसगढ़ में खाद की कमी के बीच फसल के अंतिम चरण में एक बार फिर खाद की कीमतों में वृद्धि की मार किसानों पर पड़ी है। एक बार फिर खाद और कीटनाशक दवाओं को अधिक दामों पर बेचा जा रहा है। हरिभूमि ने बीते महीने यूरिया, खाद और डीएपी अधिक कीमतों पर बेचे जाने का खुलासा किया।

रायपुर. छत्तीसगढ़ में खाद की कमी के बीच फसल के अंतिम चरण में एक बार फिर खाद की कीमतों में वृद्धि की मार किसानों पर पड़ी है। एक बार फिर खाद और कीटनाशक दवाओं को अधिक दामों पर बेचा जा रहा है। हरिभूमि ने बीते महीने यूरिया, खाद और डीएपी अधिक कीमतों पर बेचे जाने का खुलासा किया। इसके बाद कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रदेशभर में छापेमारी की। खाद की कीमतों में इससे कमी भी आई और किसानों को राहत भी मिली, लेकिन अफसरों के फील्ड से हटकर ऑडिट समेत दूसरे कामों में जुट जाने और ओवररेटिंग पर ध्यान नहीं देने की वजह से एक बार फिर किसानों पर मार पड़ रही है।

हरिभूमि ने एक बार फिर खाद की कीमतों में ओवररेटिंग को लेकर पड़ताल की। इस दौरान यह तथ्य सामने आया कि यूरिया पहले की तरह 600 रुपए तो नहीं लेकिन चोरी छिपे 450 रुपए तक जरूर बेचे जा रहे हैं। डीएपी की कीमत 1270 रुपए की जगह में 1350 रुपए तक वसूल की जा रही है। इस तरह एक बोरी में ही 80 से 100 रुपए की मार पड़ रही है। किसानों का कहना है खेती के आखिरी दौर में खाद कम लगता है। अभी कीटनाशक की जरूरत अधिक है, जो कि प्राइवेट फर्मों से लेने की मजबूरी है। इसे भी अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है।

42 दुकानों को किया गया था सील

यूरिया और दूसरे रसायनिक खाद पर मुनाफाखोरी की खबर प्रकाशित होने के बाद पिछले महीने 10 सितंबर को कृषि विभाग की टीमों ने प्रदेशभर में कार्रवाई की थी। 218 ठिकानों में छापेमारी हुई, जहां 42 दुकानों को सील तक किया गया। छापेमारी स्थल में कई दुकानदारों को नोटिस दिया गया। अभी अधिकारी फील्ड में एक्टिव नहीं हैं। इसका खामियाजा एक बार फिर ओवररेटिंग के रूप में किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

खाद का प्रयोग अब पहले से कम

किसानों ने अभी खेतों में खाद का इस्तेमाल पहले से कम कर दिया है। मोखला के एक किसान ने बताया, एक एकड़ के पीछे पांच से दस किलो यूरिया का इस्तेमाल हो रहा है। डीएपी के उपयोग करने का अभी फिलहाल वक्त नहीं है। बता दें सोसायटियों में पहले की खाता बही से उठाव हो चुका है। जरूरत के हिसाब से अगर यूरिया चाहिए तो उसे कारोबारियों की तय कीमत में ही लेने की मजबूरी है।

जिले से लगे हुए गांव की रिपोर्ट

मोखला, अभनपुर, केंद्री, खरोरा, आरंग, सेजबहार, दतरेंगा समेत आसपास के गांवों में शुक्रवार को पड़ताल करने पर यूरिया की कीमतें 430 रुपये से लेकर 450 रुपये तक की बताई गई। खातेदार किसानों ने बताया, जितने खाद की जरूरत है असल में उससे कहीं ज्यादा की बोरी खरीदने की मजबूरी है। चिल्हर भाव में भी यूरिया 450 रुपये बोरी के हिसाब से महंगा है। 48 किलो की बोरी के लिए प्राइवेट कारोबारी यह रेट तय कर रहे हैं।

शिकायत नहीं

रायपुर से लगे सोसायटियों में जांच कर सख्त निर्देश दिए गए हैं। अभी खेतों में खाद का ज्यादा इस्तेमाल नहीं रह गया, कीटनाशक का छिड़काव चल रहा है। फिलहाल कहीं से महंगी कीमतों में बिक्री की शिकायत नहीं मिली है।

- आरके कश्यप, डिप्टी डायरेक्टर कृषि, रायपुर

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