छत्तीसगढ़ में एतिहासिक धान खरीदी, अब तक सबसे बड़ा सौदा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ वर्ष 2022-23 में ऐतिहासिक धान खरीदी के साथ अब तक का सबसे बड़ा सौदा हो चुका है। राज्य में पिछले सीजन में 92 लाख मीट्रिक टन धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था, लेकिन चालू खरीफ वर्ष में यह आंकड़ा 100 लाख मीट्रिक टन के करीब आ पहुंचा है। राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक किसी भी साल इतने बड़े पैमाने पर धान नहीं खरीदा गया है। खास बात ये है कि राज्य के किसानों को धान की कीमत देश में सबसे अधिक मिल रही है।
110 लाख टन से अधिक हो सकती है खरीदी
राज्य सरकार ने इस सीजन में धान खरीदी का सबसे बड़ा लक्ष्य 110 लाख मीट्रिक टन रखा था। एक नवंबर 2022 से धान खरीदी शुरू होने के बाद अब तक लगातार धान खरीदी की जा रही है। जानकारों की मानें, तो 31 जनवरी तक धान खरीदी का आंकड़ा लक्ष्य के भी पार जा सकता है। इस बार सोमवार शाम तक यह खरीदी 99 लाख 6 हजार708 मीट्रिक टन हो चुकी है।
साढ़े 22 लाख किसानों ने बेचा
राज्य में इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिए 25 लाख से अधिक किसानों ने अपना पंजीयन करवाया था। राज्य में सोमवार शाम तक मिले आंकड़ों के मुताबिक 22 लाख 34 हजार 930 किसानों ने अपना धान बेच दिया है। ऐसी संभावना है कि 31 जनवरी तक धान बेचने वाले किसानों की संख्या और बढ़ जाएगी।
किसानों को मिल रही है सबसे अधिक कीमत
छत्तीसगढ़ में 2018 में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार बनने के समय से ही किसानों को सरकार धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए क्विंटल दिया जा रहा है। हालांकि एमएसपी के अतिरिक्त अंतर की राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत दी जा रही है। राज्य में इस साल किसानों को समर्थन मूल्य के अतिरिक्त 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि चार समान किस्तों में सरकार दे रही है। एमएसपी पर किसानों को धान की कीमत 2640 और 2660 रुपए धान की क्वालिटी के आधार पर मिल रही है।
इन जिलों में सबसे अधिक धान
राज्य में सबसे अधिक धान बेचने वाले जिलों में पहले नंबर पर महासमुंद है। इसके बाद दूसरे नंबर पर बेमेतरा, तीसरे में बलौदाबाजार,चौथा नंबर बालोद का है। इसके बाद रायपुर जिले का नंबर है। ये सभी राज्य के मैदानी इलाके हैं। धान की आवक के हिसाब से ये साफ होता है कि राज्य में मैदानी इलाकों में खेतों में सबसे अधिक धान उपजा है।
सरकार की नीतियों का बेहतर पालन
खाद्य विभाग के सचिव टीपी वर्मा का कहना है कि इस साल धान बिक्री के लिए पंजीयन से लेकर धान खरीदी शुरू होने तक पूरा ध्यान दिया गया। खरीदी के लिए 137 नए केंद्र बनाए, किसानों को उनके घरों के धान बेचने की सुविधा मिली। बिक्री के 48 घंटों के भीतर ऑनलाइन भुगतान, बारदाने की कोई समस्या नहीं रही। कुल मिलाकर शासन की किसान हितैषी नीति का यह बेहतर परिणाम रहा है।
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