20 करोड़ का धान घोटाला : आदेश कई बार जारी होने के बाद भी दोषियों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही, अब भाजपा राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने और आंदोलन की तैयारी में

20 करोड़ का धान घोटाला : आदेश कई बार जारी होने के बाद भी दोषियों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही, अब भाजपा राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने और आंदोलन की तैयारी में
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खाद्य मंत्री के गृह जिले में करोड़ों का धान का घोटाला सामने आया था। इसमें जिला प्रशासन ने जांच की तो 13 कर्मचारियों को दोषी पाया था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने सभी आरोपियों के खिलाफ तत्काल सेवा समाप्त करने, सभी पर एफआईआर दर्ज करने के साथ ही पैसों की रिकवरी का आदेश भी दिया था। कलेक्टर को आदेश पारित किए लगभग एक साल का समय हो गया है, बावजूद इसके अभी तक किसी भी अधिकारी—कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। कहां का है मामला पढ़िए पूरी खबर...

नौसाद अहमद/सूरजपुर। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। शायद यही वजह है कि प्रदेश के इतिहास में सत्ता पाने के लिए धान सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। वहीं प्रदेश के खाद्य मंत्री के गृह जिले में करोड़ों का धान का घोटाला सामने आया था। इसमें जिला प्रशासन ने जांच की तो 13 कर्मचारियों को दोषी पाया था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने सभी आरोपियों के खिलाफ तत्काल सेवा समाप्त करने, सभी पर एफआईआर दर्ज करने के साथ ही पैसों की रिकवरी का आदेश भी दिया था। कलेक्टर को आदेश पारित किए लगभग एक साल का समय हो गया है, बावजूद इसके अभी तक किसी भी अधिकारी-कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। वहीं भाजपा भी अब इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर रही है।

धान और बारदाना में हेराफेरी

दरअसल सूरजपुर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर पर स्थित धान संग्रहण केंद्र लोधीमा में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में बड़े पैमाने पर धान के हेराफेरी की शिकायत मिली थी। शिकायत के आधार पर जिला प्रशासन की ओर से पूरे मामले की जांच कराई गई थी। जांच में यह पाया गया था कि संग्रहण केंद्र में 79,425 क्विंटल धान और 92,987 नग बारदाने की कमी पाई गई थी। इसकी कीमत लगभग 20 करोड़ 67 लाख 50 हजार 375 रुपए थी। इस घोटाले में 13 अधिकारियों और कर्मचारी के नाम सामने आए थे। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने 2 अक्टूबर 2021 को एक आदेश निकाला गया था। इसमें दोषी सभी 13 अधिकारी और कर्मचारियों को तत्काल सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया था, लेकिन दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।

अब तक नहीं हुई दोषियों पर कार्यवाही

इसके बाद 25 मार्च 2022 को सूरजपुर कलेक्टर ने दो आदेश निकाले थे। इसमें से एक पत्र में सभी दोषियों से आर्थिक क्षति का वसूली करने का आदेश था और दूसरे पत्र में सभी दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश थे। कलेक्टर के आदेश के लगभग 7 महीना से ज्यादा बीत जाने के बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी और कर्मचारी पर एक भी कार्यवाही नहीं हुई है। वहीं इस पूरे मामले में जिला प्रशासन का ढुलमुल रवैया देखने को मिल रहा है। हरिभूमि और आईएनएच न्यूज़ ग्रुप से बात करते हुए सूरजपुर के एसडीएम रवि सिंह ने कहा कि आप के माध्यम से जानकारी मिली है, जल्द ही कार्यवाही की जाएगी।

आंदोलन की तैयारी में भाजपा

अब भाजपा भी इस पूरे मुद्दे पर आक्रामक हो गई है। भाजपा के अनुसार यह पूरा गोलमाल जिला प्रशासन के स्तर पर हुआ था और भाजपा ने ही इस भ्रष्टाचार को उजागर किया था। बावजूद इसके राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं किया जाना कई सवाल खड़े करता है। भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने से लेकर आंदोलन तक की बात कर रहा है।

कार्यवाही के लिए तीन आदेश हो चुके जारी

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिले के सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर की ओर से लगातार तीन लिखित आदेश के बावजूद आखिर किसी भी कर्मचारी और अधिकारी पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? क्या इन दोषियों को किसी राजनेता का संरक्षण प्राप्त है या जिले के कुछ अधिकारी खुद को कलेक्टर से भी बड़ा समझते हैं? देखिए वीडियो-



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