सिलगेर में बढ़ने लगा तनाव, कैम्प हटाने की मांग पर 19 दिन से डटे हैं ग्रामीण

बीजापुर. सिलगेर से कैम्प हटाने की मांग को लेकर आसपास के गांवों के हजारों लोग 19 दिन से तर्रैम के समीप डटे हैं। भोपालपटनम इलाके के पंचायत प्रतिनिधियों से चर्चा में आंदोलनकारियों ने साफ कह दिया कि वे गोण्डवाना समाज से भी खफा हैं क्योंकि वे आंदोलन में उनका साथ नहीं दे रहे हैं। जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी, सरिता चापा, जनपद उपाध्यक्ष मिच्चा मुतैया, सरपंच चिन्नाबाई टिंगे, अनिल यालम, संतोष मेकल, यालम मनोज, रामैया वासम, अफजल खान, रविन्द्र कुरसम, मिच्चा समैया एवं प्रषांत ताटी को तर्रेम थाने में रोका गया।
जल, जंगल, जमीन हमारा
दल से ग्रामीणों ने कहा कि जल जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक है। यहां बड़े उद्योग लगाकर आदिवासियों को बेदखल करने की साजिश की जा रही है। इधर तहसीलदार शिवनाथ बघेल ने बताया कि लोगों को एकत्र ना होने की समझाइश दी जा रही है। इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में यहां आ रहे हैं। इससे कोरोना का संक्रमण इस इलाके में बढ़ रहा है। आला अफसरों ने भी आंदोलन समाप्त करने की समझाइश दी लेकिन वे नहीं मान रहे हैंं। रास्ते में बड़े पेड़ रख दिए गए हैं। इससे आना जाना बाधित हो गया है।
तीन लोगों की मौत हुई
यहां उन्होंने एसडीओपी भावेष समरथ से चर्चा की। एसडीओपी ने वाहनों को आगे ले जाने से मना किया। वहां से एक किमी दूर धरने पर बैठे लोगों से पंचायत प्रतिनिधियों ने चर्चा की। श्री ताटी ने कहा कि ये मसला अत्यंत दुखद है और इसकी जांच होनी चाहिए। दोषियों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए। आंदोलन पर बैठे लोगों ने कहा कि कई दल और गोण्डवाना समाज के लोग उनसे मिलने आए लेकिन कैम्प हटाने के आंदोलन की बात आने पर सभी चुप हो गए। आंदोलन का नेतृत्व ना तो समाज कर रहा है और ना ही कोई राजनीतिक दल। वे यहां केवल मीठी बात करने आते हैं। लोगों ने कहा कि निजी भूमि पर कैम्प लगा है। कैम्प के आने से इलाके में खूनखराबा बढ़ता है। अभी तीन लोगों की मौत हुई है। हमें स्कूल, आंगनबाड़ी, हॉस्पिटल और नलकूप चाहिए लेकिन कैम्प नहीं।
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