‘PARIVARTAN’ self help women group : हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना उनके सपनों को दे रही उड़ान, पढ़िए गीता राजपूत की कहानी...

दुर्ग। महिलाएं हर क्षेत्र में लगातार अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं। वे न केवल प्रतिभा रखती हैं बल्कि वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से भी सक्षम हैं। हम महिलाओं की इसी क्षमता की एक कहानी दुर्ग जिले से लेकर आए हैं। दरअसल, दुर्ग के बघेरा निवासी गीता राजपूत की अध्यक्षता में स्व सहायता महिला समूह ‘परिवर्तन’ संचालित हो रही है। उनका कहना है कि स्व सहायता समूह की वजह से सभी ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो पाईं हैं।
परिर्वतन महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष गीता राजपूत ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों घनश्याम सिंह आर्य कन्या महाविद्यालय दुर्ग में बच्चों को निःशुल्क राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया था। राखियों के अलावा समूह की महिलाएं धान का दुल्हन सेट, धान का बैच, गोबर का दिया, गणवेश सिलाई, रंगोली, तिली के लड्डू, वाशिंग पावडर, हर्बल गुलाल, धूपबत्ती, फिनाइल, मौली धागा की राखी, धान की राखी, चावल की राखी, रुद्राक्ष की राखी, गोबर की राखी इत्यादि प्रोडक्ट्स बना रही हैं। इसके अलावा उनका बनाया मसाले हल्दी पावडर, धनिया पावडर, मिर्ची, गरम मसाले भी सी मार्ट में उपलब्ध हैं।

दीपावली के लिए बनाए जा रहे विशेष प्रोडक्ट्स
दीपावली को लेकर विशेष रूप से गौ माता के पवित्र गोबर से निर्मित श्री गणेश जी, श्री लक्ष्मी जी की मूर्तियां, कलर दिया, शुभ-लाभ और ॐ विक्रय के लिए उपलब्ध है। गीता राजपूत का कहना है कि स्व सहायता समूह के एक-एक समूह में 10 से 12 सदस्य जुड़े हुए हैं। महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से बहुत सारी महिला समूह का गठन हुआ है इसमें हर समूह में कुछ न कुछ बनाने का काम चल रहा है।


हर महिला को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
महिला स्व सहायता संगठन का एक समूह स्वास्थ केन्द्र बघेरा में पीएससी में खाना सप्लाई करता था। मरीजों के लिए समूह में गणवेश सिलाई भी किया गया था। प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से लेकर दीपावली तक रंगोली का काम जारी रहता है। इस तरह से आवश्यकता अनुसार वे सभी प्रोडक्ट्स बनाती हैं। गीता राजपूत ने आगे कहा कि हम चाहती हैं कि हमारे प्रोडक्ट्स मार्केट तक पहुंचे और सभी महिलाएं कई तरह के प्रोडक्ट्स का निर्माण कर अपने आय का जरिया दुगुना बना सके। हमारा प्रयास है कि हर महिला आत्मनिर्भर हो और स्वाभिमान के साथ जी सकें।
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