मरीज ज्यादा संसाधन कम : सिविल अस्पताल को उन्नयन की दरकार, यहां है हर चीज की कमी...डॉक्टर, स्टाफ, बिस्तर, रैन बसेरा और पार्किंग तक नहीं

यशवंत गंजीर-कुरूद। 71 वर्ष से संचालित सिविल अस्पताल कुरूद में सामान्य वार्ड, आपात चिकित्सा वार्ड, जच्चा-बच्चा वार्ड मिलाकर 60 बिस्तर होने के बावजूद हाउसफुल की स्थिति बनी हुई है। जिसे 100 बिस्तरों में उन्नयन करने के साथ यहां पार्किंग व्यवस्था के साथ ही मरीजों के परिजनों के लिए रैन बसेरा की व्यवस्था करने की जरूरत है।
दरअसल, सन् 1952 में बने सिविल अस्पताल कुरुद में रोजना 300 से भी अधिक मरीजों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो रही है लेकिन, दैनिक जरूरतों के अनुसार यहां भौतिक और मानवीय संसाधनों की कमीं भी है। इसके चलते 50 बिस्तरों वाले इस अस्पताल से मरीजों को दूसरी जगह रिफर करने की नौबत आ जाती है। इतना ही नहीं पार्किंग व्यवस्था नहीं होने कारण मरीजों के परिजन अपने वाहनों को अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने खड़े करते हैं। वहीं मरीजों के परिजनों, हितचिंतकों के लिए रैन बसेरा नहीं होने के चलते सामान रखने, आराम करने तो दूर उन्हें खाना खाने के लिए भी उचित स्थान नहीं मिल पाता है।
हड्डी, शल्य चिकित्सा, निश्चेतना विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ के अलावा चतुर्थ वर्ग की है कमी
नेशनल हाईवे होने के कारण कुरूद क्षेत्र में दुर्घटना के मामले आते ही रहते हैं। अस्पताल में एक्सरे की नियमित सुविधा तो है पर अस्थायी विशेषज्ञ डॉक्टर सप्ताह में केवल तीन दिन ही यहां इलाज करते हैं, बाकी 4 दिन वे जिला अस्पताल में सेवा देते हैं। सिजेरियन ऑपरेशन सहित विभिन्न शल्य चिकित्सा संबंधी उपचार के लिए शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ, विभिन्न शल्य चिकित्सा, सिजेरियन डिलिवरी और अन्य गहन चिकित्सा के लिए निश्चेतना विशेषज्ञ चिकित्सक की यहां जरूरत है। जबकि संस्थागत प्रसव, जच्चा-बच्चा को दी जाने वाली सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन यहां एक भी स्थायी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है, जिसे जल्द पूरा कर सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है।
इन केंद्रों में भी है स्टॉफ की कमी
मिली जानकारी अनुसार, भखारा तहसील के उपस्वास्थ्य केंद्र सिलौटी, तर्रागोंदी, रामपुर के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोर्रा और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भखारा में भी स्टॉफ की कमीं है। टीकाकरण के काम के दौरान यहां ओपीडी देखने में वहां के कर्मचारियों को, नागरिकों के कोप का भी शिकार होना पड़ता है।
प्रयास केवल कागजों में सिमटकर रह गई है
भाजपा शासन में स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने अस्पताल को 100 बिस्तरों में उन्नयन करने के लिए प्रयास शुरू किया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेस शासन में यह प्रयास केवल कागजों में सिमटकर रह गई है। जिसके चलते क्षेत्रवासियों, कार्यरत डॉक्टरों और कर्मचारियों को परेशानियां उठानी पड़ रही है।
मरीजों की संख्या बढ़ने पर वैकल्पिक व्यवस्था कर किया जा रहा उपचार
बता दें कि यहां मरीजों की संख्या बढ़ने पर वैकल्पिक व्यवस्था कर उपचार किया जाता है। अस्पताल को 100 बिस्तर में तब्दील करने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थायी नियुक्ति और पार्किंग व्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन को पत्र लिख लगातार मांग भी की जा रही है।
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