पुलिस ने नक्सलियों के गांव में लगाया बैनर और पोस्टर, कहा हथियार छोड़ वापस समाज में लौट आओ

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की पुलिस ने नक्सलियों को वापस बुलाने के लिए एक नई प्रक्रिया की शुरुआत की है। यहां के पुलिस सभी नक्सली गांव में पोस्टर और बैनर चिपकाएं हैं। इतना ही नहीं इस पोस्टर में वरिष्ठ अधिकारियों के फोन नंबर दिए गए है, ताकि वापस लौटने वाले नक्सली संपर्क कर सकें।
अधिकारियों ने नक्सलियों से कहा कि अपने हथियार को छोड़कर वापस अपने समाज में लौट आओ। बता दें कि नक्सलियों से सबसे ज्यादा घिरा दंतेवाड़ा जिला है। दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि क्षेत्र में गोंडी बोली भाषा में लोन वर्राटू नाम से एक अभियान चलाया गया है।
लोन वर्राटू का अर्थ होता है कि अपने गांव लौट आओ। इस अभियान के तहत जिले के चिकपाल गांव के पंचायत भवन के सामने 13 नक्सलियों का पोस्टर चिपकाया गया है। इसमें चार महिला नक्सली शामिल है। चिकपाल गांव के निवासी इन नक्सलियों पर एक लाख रुपये से आठ लाख रुपये तक का इनाम रखा है।
ये नक्सली (Naxalite) दक्षिण बस्तर क्षेत्र में सक्रिय हैं। हालांकि पिछले तीन दशक से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के बीच यह पहली बार है कि नक्सलियों को वापस बुलाने के लिए इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है।
अधिकारी ने बताया कि पोस्टर और बैनर में नक्सलियों का नाम, संगठन में उनका पोस्ट और उनके लिए रखे गए इनाम की राशि की जानकारी दी गई है। साथ ही संदेश दिया गया है कि वह नक्सलवाद छोड़कर राज्य के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को लगता है कि जो लोग गांव छोड़ चुके हैं वे काम की तलाश में पड़ोसी राज्य में चले गए हैं। लेकिन जब नक्सलियों के नाम सामने आएंगे, तब वे हथियार उठाने वाले लोगों के बारे में जान पाएंगे।
पल्लव का कहना है कि पुलिस नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और राजनांदगांव जिलों के अधिकारियों से संपर्क कर इनामी नक्सलियों और उनके निवास स्थान की सूची तैयार कर रही है। इस अभियान के तहत पहले सबसे अधिक नक्सल प्रभावित 25 गांवों को लिया गया है।
जहां पांच से अधिक इनामी नक्सली रहते हैं या उनका गांव है। दंतेवाड़ा जिले में लगभग दो 200 ऐसे नक्सली है जिनके सिर पर इनाम है। उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी इनामी नक्सली हैं उनके नाम की पुस्तिका तैयार की जाएगी।
साथ ही उसे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य विभागों के अधिकारियों को दी जाएगी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही नक्सलियों के परिजनों और उनके परिवार के अन्य सदस्यों से बातचीत करने की पहल की गई है।
ताकि वे नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने और सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सके। पल्लव ने कहा कि नक्सलियों के परिवारों के लिए सरकारी योजना के तहत गांव में एक छोटी आवासीय कॉलोनी बनाने की भी योजना है।
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