पुलिस का बल प्रयोग या 'दुरुपयोग' : लबालब भरे खूंटाघाट जलाशय को देखने स्वतंत्रता दिवस पर उमड़ी भीड़... पुलिस ने उनके साथ क्या किया... देखिए वीडियो..

प्रेम सोमवंशी-कोटा-बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चंद बड़े बाधों में से एक खूंटाघाट जलाशय की सैर स्वतंत्रता दिवस पर कुछ युवकों को भारी पड़ गई। दरअसल इन दिनो लबालब भर चुके खूंटाघाट बांध से पानी छलक रहा है। जहां से अतिरिक्त पानी निकलता है, ठीक उसके ऊपर ही यहां दशकों से लक्ष्मण झूला बना हुआ है। पानी के आवरफ्लो के चलते आजकल इसे बंद रखा गया है। लेकिन 15 अगस्त को इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में युवा वहां पहुंचे थे। झूले के बंद होने के बावजूद वे करीब से उस दृश्य का लुत्फ उठाने का लोभ संवरण नहीं कर पाए और कूदकर भीतर जा पहुंचे। हालांकि कहा जा रहा है कि वहां सुरक्षा के लिए पुलिसबल भी मौजूद था, उन्होंने भीतर न जाने की चवेतावनी भी दी थी, फिर भी दर्जनों की संख्या में युवक भीतर चले गए।
झूले पर ही युवकों को पीटने लगी पुलिस
मिली जानकारी के अनुसार, पर्यटकों की भीड़ ज्यादा होने की वजह से ही पर्यटकों को भीतर जाने से रोका गया था, ताकि कोई अनहोनी न हो जाए। पुलिस ने सुरक्षात्मक दृष्टि से युवकों को वहां से हटने के लिए भी कहा। पुलिस के मुताबिक इसके बाद भी भीड़ ज्यादा बढ़ने लगी। पुलिस के मुताबिक तब पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तीतर-बितर किया। लोगो को वहां से खदेड़ा नहीं जाता तो कोई घटना घट सकती थी। इसलिए सुरक्षा और जान-माल के नुक़सान से बचाने के लिए भीड़ को पुलिस ने वहां से खदेड़ा।
भीड़ हटाने के लिए 'बल' प्रयोग : पुलिस
एडिशनल एसपी रोहित झा ने कहा है कि, 15 अगस्त को खूंटाघाट डेम पर हजारों को संख्या में भीड़ थी। जहां पुलिस बल तैनात किया गया था। वेस्ट वियर में नही जाने के लिए सभी को हिदायत दी जा रही थी, साथ ही बेरीगेट्स भी लगाए गए थे। लेकिन फिर भी कुछ शरारती युवकों ने उसे तोड़ कर वेस्ट वियर में भीड़ लगा दी। भीड़ ज्यादा होने से वेस्ट वियर को नुकसान पहुंच सकता था, इसलिए सुरक्षात्मक दृष्टि से लगातार पुलिस सभी को वहां से हटने के लिए समझाइश दे रही थी। श्री झा के मुताबिक भीड़ ज्यादा बढ़ने लगी थी, यदि लोगो को वहां से हटाया नहीं जाता तो कोई दुर्घटना हो सकती थी।
पिछले साल खूंटाघाट डैम में गिर गया था युवक
पिछले साल इसी सीजन में जितेंद्र नाम का एक युवक खूंटाघाट डैम में गिर गया था। और चट्टान के बीच जाकर फंस गया, जिसे बचाने के लिए कोशिशें की गई थी। लेकिन उसके बाद भी वह युवक 24 घंटे तक फंसा रहा था। हेलीकॉप्टर से उसको रेस्क्यू कर निकाला गया था।
साहब... आपकी बात ठीक, लेकिन 'बल' का यह प्रयोग या दुरुपयोग?
पुलिसिया लाठीचार्ज का वीडियो वायरल होने और मीडिया में सवाल उठाए जाने के बाद एडिशनल एसपी रोहित झा साहब ने प्रेस नोट के नाम पर सफाई जारी की है। जिसमें साहब बता रहे हैं कि ऐसा करना जरूरी था। साहब... आपकी बात सब ठीक है। लेकिन क्या एक-एक युवक पर कई-कई बार बुरी तरह से, पूरी ताकत के साथ दंड प्रहार जरूरी था? साहब...दृश्य झूठ नहीं बोलते... वीडियो में साफ दिख रहा है कि, पुलिस के जवानों की मंशा डराकर बाहर निकालना नहीं बल्कि पूरी ताकत से चोट पहुंचाना है... वीडियो में साफ दिख रहा है कि जिस तरफ से युवाओं को निकाला जा रहा है, वहां से एक-एक कर युवक कूदकर बाहर आ रहे हैं। ऐसे में समय लगना लाजिमी है। जिस तरह से पुलिस के जवान लाठियां भांज रहे हैं, उससे भगदड़ के हालात बनने का अंदेशा ज्यादा था। जो कि ज्यादा खराब स्थिति हो सकती थी।
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