झीरम कांड पर फिर सियासत : भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाए जांच और सच सामने नहीं आने देने का आरोप

रायपुर। बस्तर में फैले नक्सलवाद ने यूं तो छत्तीसगढ़ को काफी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने जो किया वह कांग्रेस पार्टी को व्यक्तिगत बड़ी क्षति के अलावा प्रदेश को भी सबसे बड़ा दंश दिया है। उसी झीरम कांड को आज नौ साल पूरे हो गए। घटना के दिन से ही जारी इस कांड पर थमने के अलावा बढ़ती ही जा रही है। प्रदेश की दोनो प्रमुख सियासी पार्टियां एक-दूसरे पर सच को छिपाने, सच को सामने आने से रोकने की कोशिश जैसे आरोप लगाते रहे हैं। सो आज बरसी पर एक बार फिर झीरम कोड़ को लेकर अरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा।
भाजपा के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि अब तक सामने आ जानी चाहिए थी सत्यता, कांग्रेस की सरकार ही जांच में बन रही है बाधा। कांग्रेस अपने अनुकूल एसआईटी बनाकर जांच करवाना चाहती है, जिसे न्यायालय ने अभी स्टे दिया है। अर्थात उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। रिपोर्ट को उन्होंने सार्वजनिक क्यों नहीं किया? यदि आपको रिपोर्ट में आपत्ति है तो आप कोर्ट जाइए। घटना के बाद साल भर तक धरातल पर चर्चा हुई है, कौन सी पार्टी के नेताओं पर उंगली उठी है? यह कांग्रेस को बेहतर तरीके से पता है, हमारा आरोप है कि कांग्रेस बाधा बन रही है और अपने ही लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है।
कांग्रेस का भाजपा पर आरोप
उधर आज बस्तर में सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा पर खुलकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा झीरम कांड की जांच को रोकने में लगी हुई है। वहीं प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव चंदन यादव ने कहा कि जिन वजहों से हमारे नेताओं की शहादत हुई है, उसकी सच्चाई को सामने लाने के लिए कांग्रेस की सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भाजपा को दिवंगत नेताओं के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। आज के दिन हम राजनीतिक बातें नहीं करेंगे, वे हमारे प्रेरणा श्रोत हैं, जिसे लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं।
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