धर्मग्रंथ पर सियासत : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- धर्म ग्रंथ के बारे में बोलने का अधिकार केवल धर्माचार्य को होना चाहिए, राजनीतिज्ञ को नहीं

रायपुर। 'रामचरित मानस' की कुछ चौपाइयों पर इन दिनो चल रहे विवाद को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि, इन दिनों धर्मग्रंथों को लेकर सियासत हो रही है। लगातार देश में राजनीति ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है। पहले भी मंडल-कमंडल के नाम से इस तरह की राजनीति की गई है। उन्होंने कहा, कई तरह से ध्रुवीकरण के प्रयास किए जाते हैं। धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण हो रहा है। हिंदू समुदाय को दो भागों में बांटने की साजिश चल रही है।
RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि, धर्म ग्रंथ के बारे में बोलने का अधिकार केवल धर्माचार्य को होना चाहिए, राजनीतिज्ञ को नहीं। जब राजनीतिज्ञ धर्म ग्रंथ के बारे में बोलता है, तो समझ लेना चाहिए कि धर्म ग्रंथ को मुद्दा बनाकर राजनीति की जा रही है।
रिसर्च के बारे में पूछना होगा : शंकराचार्य
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, आरएसएस प्रमुख ने कोई रिसर्च किया होगा, उनसे पूछना होगा कि किस रिसर्च के फलस्वरूप ये जानकारी उन्हें मिली है। हम यही जानते हैं कि चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं... गीता में भगवान ने कहा है, वे किस आधार पर ये कह रहे हैं, उनकी बात जानने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।
RSS प्रमुख ने कहा - पंडितों ने श्रेणी बनाई
विदित हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया था। मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, हमारी समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी है, जब हर काम समाज के लिए है, तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि, मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था। श्री भागवत ने कहा कि, हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया। इसी का फायदा उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुए और बाहर से आये लोगों ने फायदा उठाया। देश में विवेक, चेतना सभी एक है, उसमें कोई अंतर नहीं, बस मत अलग-अलग हैं।
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