Pollution : भैरव बाबा धाम का अस्तित्व खतरे में...ग्रामीणों ने उद्योगपतियों को दी चेतावनी...कहा- प्रदूषण नहीं रोका तो करेंगे उग्र आंदोलन

हेमंत वर्मा/धरसींवा- ब्लाक मुख्यालय धरसींवा से 5 किलो मीटर दूर एक गांव में स्थित भैरव बाबा मंदिर है। जो आध्यात्मिक शक्तियों का केंद्र बिंदु है। लेकिन इस मंदिर के आस-पास प्रदूषण और काली डस्ट की परतों से मन्दिर का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। जिसकी वजह से ग्रामीणों ने आसपास में सटे हुए उद्योगों और जिम्मेदार विभाग के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। साथ ही उद्योगपतियों को ज्ञापन सौंप दिया है। साथ ही कहा है कि, अगर मन्दिर परिसर की ओर बढ़ने वाली प्रदूषण को नही रोका गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
मेला का महा आयोजन...
ग्राम पंचायत कपसदा समेत ग्राम रैता और कुकेरा के बीच में कोल्हान नाला में क्षेत्र की आस्था का मन्दिर भैरव बाबाधाम स्थित है। जिसका लोकार्पण 14 दिसम्बर 1996 को हुआ और तब से आज तक 25 साल से इस मन्दिर में पूजा-पाठ के साथ तीन दिवसीय मेला का महा आयोजन होता है। लेकिन अब भैरव बाबा मन्दिर के आसपास कुछ लोग काली डस्ट की कमाई और गैरकानूनी तरीके से कोयला डस्ट के कारोबारी के साथ-साथ अन्य कारोबार को बढ़ाकर आसपास के क्षेत्र का माहौल खराब कर रहे हैं और भैरव बाबा मन्दिर की अस्तित्व को खतरे में डाल दिए है।
इंसान के साथ भगवान भी परेशान...
कोल्हान नाला स्थित भैरव बाबा धाम को प्रदूषण से बचाने के लिए ग्रामीण अब लामबंद हो गए हैं। प्रदूषण से इंसान और भगवान दोनों परेशान हैं। मन्दिर के पास में लगे फैक्ट्रियों और नाला के बीच कोयले की उड़ती धूल से लोगों का राह चलना दुर्भर हो गया है। धूल के चलते सड़कों पर दिन में ही अंधेरा छा रहा है। वहीं भैरव बाबा धाम की धरातल पर मूर्ति और जमी धूल की जद में आकर लोग अक्सर घायल भी हो रहे हैं। पर्यावरण संबंधित निर्देशों का ऊर्जांचल में कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। कोल डस्ट की भयावहता से लोग सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। सड़कों पर चल रहे वाहनों के पीछे उड़ती धूल से कुछ मीटर की दूरी भी नहीं दिखाई पड़ रही है। जिससे दिन में ही मुख्य मार्ग पर अंधेरा छाने लगा है।
पुजारी ने छोड़ा मन्दिर...
पिछले कुछ सालों से भैरव बाबा धाम में मुख्य रूप से पूजा कर रहे पुजारी श्री इंद्रिका प्रसाद पांडे पर प्रदूषण का ऐसा कहर बरपा की वह अपने जीवन को बचाने के लिए मन्दिर को छोड़ना ही उचित समझा और आज वह रायपुर स्थित एम्स अस्पताल में अपना इलाज करा रहे है। मन्दिर ट्रस्टी श्री बलदाऊ राम साहू और गणेश राम सेन ने बताया कि, यहां आज भी काली डस्ट साफ दिखाई देती हैं। गंदगी और प्रदूषण के चलते मूर्तियों पर चढ़ाए गए चोले पर तीन-चार दिनों में ही काली परत चढ़ जाती है। नाले में ड्रनेज के साथ केमिकल युक्त गंदा पानी छोड़ा जा रहा है, इससे उठने वाली गैसों से भी मूर्तियां काली पड़ रही हैं।
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