सरकारी विभागों और उपभोक्ताओं ने पॉवर कंपनी को लगाया चूना, कंपनी के 3500 करोड़ रुपए दबाए

छत्तीसगढ़ राज्य की पाॅवर कंपनी काे बकाया में साढ़े तीन हजार करोड़ का करंट लग गया है। कंपनी को बड़ा नुकसान पहुंचाने का काम ताे सरकारी विभाग भी कर रहे हैं। कंपनी का प्रदेश के सरकारी विभागों पर 13 साै करोड़ का बिजली बिलों का उधार हो गया है, पर कोई भी विभाग पैसे देने तैयार नहीं है। सरकारी विभाग तो हमेशा से ही बिल जमा नहीं करते। सबसे ज्यादा करीब पांच सौ करोड़ का उधार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और चार सौ करोड़ से ज्यादा का नगरीय प्रशासन और विकास विभाग पर हाे गया है। इसी के साथ दूसरे सरकारी विभाग भी बिल जमा नहीं कर रहे हैं, तो उन पर भी करोड़ का उधार हाे गया है। कुछ विभाग जरूर ऐसे हैं, जो बिल जमा करते हैं, इसलिए इन पर उधार कम है। इधर काेरोनाकाल के कारण आम उपभोक्ताओं पर बकाया बढ़ते-बढ़ते 22 सौ करोड़ से पार हो गया है।
प्रदेश में आम उपभोक्ता पर थोड़ा सा बकाया होने पर उनकी बिजली कट करने पॉवर कंपनी के कर्मचारी पहुंच जाते हैं। आम उपभोक्ताओं से वसूली का काम पूरे प्रदेश में चल रहा है। अब यह बात अलग है कि पहली बार कोरोना काल में जरूर आम उपभोक्ताओं की परेशानी को देखते हुए उनको राहत देते हुए कोरोना काल में बिजली नहीं काटी गई थी, लेकिन अब जिनका बकाया है, उनकी बिजली काटी जा रही है, लेकिन सरकारी विभागों की बिजली कभी कट नहीं की जाती। यही वजह है कि सरकारी विभाग हमेशा से बेलगाम रहे हैं। ये बिल ही जमा नहीं करते। अंत में पॉवर कंपनी को प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर बजट में विभागीय बजट से ही बिलों का भुगतान लेना पड़ता है।
इस पर सबसे ज्यादा बकाया
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर 500 करोड़ से ज्यादा का बकाया हो गया है। इसी तरह से नगरीय निकाय एवं विकास विभाग 422 करोड़, स्कूल शिक्षा विभाग 60 करोड़, गृह विभाग 26 करोड़, आवास एवं पर्यावरण 20 करोड़, महिला एवं बाल विकास 13 करोड़, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन 12 करोड़, लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण विभाग 18 करोड़, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग 11 करोड़, वन विभाग 6 करोड़, आदिम जाति विभाग एवं लोक निर्माण विभाग पर 5-5 करोड़ का बकाया है।
इन पर कम उधार
जहां एक तरफ सबसे ज्यादा उधार वाले विभाग हैं, वहीं कुछ ऐेसे विभाग भी हैं जिन पर बकाया कम है। ऐसे विभागों में सबसे ज्यादा बकाया विधि विधायी विभाग पर एक करोड़ 53 लाख रुपए है। इसके बाद कृषि एवं प्रोद्योगिक विभाग पर 1 करोड़ 12 लाख का बकाया है। अन्य विभागों में उच्च शिक्षा पर एक करोड़ दस लाख, ग्रोमोद्योग पर 76 लाख, सहकारिता विभाग पर 65 लाख के साथ ही कई विभागों पर एक से 25 लाख तक का बकाया है।
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