बिजली संयंत्रों को रोज चाहिए 29 हजार टन कोयला, मिल रहा 23 हजार टन, चार दिनों का ही स्टॉक बाकी

बिजली संयंत्रों को रोज चाहिए 29 हजार टन कोयला, मिल रहा 23 हजार टन, चार दिनों का ही स्टॉक बाकी
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प्रदेश सहित देश-दुनिया को कोयले की आपूर्ति करने वाले राज्य में भी कोयला संकट गहरा गया है। उत्पादन कंपनी के विद्युत संयंत्रों में केवल 3 से 4 दिन के कोयले का स्टॉक शेष बचा है। इन संयंत्रों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है लेकिन उन्हें एसईसीएल की कोयला खदानों से 23 से 24 मीट्रिक टन कोयले की ही आपूर्ति हो रही है। मुख्यमंत्री ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए एसईसीएल के सीएमडी को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

रायपुर/कोरबा. प्रदेश सहित देश-दुनिया को कोयले की आपूर्ति करने वाले राज्य में भी कोयला संकट गहरा गया है। उत्पादन कंपनी के विद्युत संयंत्रों में केवल 3 से 4 दिन के कोयले का स्टॉक शेष बचा है। इन संयंत्रों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है लेकिन उन्हें एसईसीएल की कोयला खदानों से 23 से 24 मीट्रिक टन कोयले की ही आपूर्ति हो रही है। मुख्यमंत्री ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए एसईसीएल के सीएमडी को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के विद्युत संयंत्रों में कोयला संकट गहराया हुआ है राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के 1340 मेगावाट क्षमता वाले कोरबा पश्चिम संयंत्र में 70000 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक है जो तीन दिन के कोयले के बराबर है। संयंत्र की सभी इकाइयां प्रचालन पर होने से इस संयंत्र में रोजाना 22000 मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है। वर्तमान में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा संयंत्र को रोजाना 17000 मीट्रिक टन र्कोयले की आपूर्ति की जा रही, इस नजरिए से देखें तो अभी संयंत्र में रोजाना मिल रहे 17000 मीट्रिक टन कोयले से उत्पादन किया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि संयंत्रों की इकाइयों को कम लोड पर चलाया जा रहा है।

बात करें 500 मेगावाट क्षमता वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र की तो यहां के कोल स्टाक में भी महज 3 दिन का कोयला उपलब्ध है। संयंत्र में सभी इकाइयों के फुल लोड पर चलने से यहां रोजाना 8000 मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है। वर्तमान में 6 से 7000 मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है। केवल मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में 7 दिनों की आवश्यकता भर का कोयला उपलब्ध है। इस संयंत्र में रोजाना 18000 मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है वर्तमान में 500 मेगावाट की एक इकाई उत्पादन से बाहर होने की वजह से संयंत्र में 8000 मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है किन्तु अभी इस संयंत्र को उसकी दो चालू इकाईयों के परिचालन के बराबर ही कोयला मिल रहा है। जिससे दो इकाईयों से विद्युत उत्पादन हो रहा है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक के अनुसार 5 दिनों की आवश्यकता से कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल स्थिति माना जाता है। बताया गया, प्रदेश के ताप बिजली घरों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है। एसईसीएल से 24 से 25 हजार 290 मीट्रिक टन कोयला दिया जा रहा है।

40 रेक तक कोयला भेजा जा रहा

क्षेत्रीय रेल प्रबंधक प्रभात कुमार ने बताया कि 5 दिन पहले तक कोरबा रेलखंड से जहां प्रतिदिन 20 से 25 रेक कोयला का ही परिवहन हो रहा था वहीं बीते चार दिनों से इसकी संख्या में इजाफा हुआ है और अभी 35 से 40 रेक कोयला परिवहन विभिन्न संयंत्रों के लिए किया जा रहा है। श्री कुमार ने कहा कि यदि एसईसीएल की सभी साइडिंग के भंडारण से उन्हें पर्याप्त कोयला उपलब्ध होगा तो आने वाले दिनों में रेक की संख्या और बढ़ा दी जाएगी। इस समय सीएसईबी के दो और बालको संयंत्र के लिए रेलवे प्रतिदिन 4 से 5 रेक कोयला भेज रहा है।

सीएम ने अफसरों की बुलाई बैठक

प्रदेश सहित देशभर के बिजली संयंत्रों में कोयला संकट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को बैठक बुलाई। जिसमें उन्होंने प्रदेश के बिजली संयंत्रों में पर्याप्त कोयला की उपलब्धता को लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। इस अवसर पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक आलोक सहाय को उन्होंने कोयला परिवहन के लिए पर्याप्त रेक उपलब्ध कराने कहा, जिसपर डीआरएम ने सहमति जताई। इस संबंध में सीपीआरएम रेलवे साकेत रंजन ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त रेक उपलब्ध है और हमेशा ही अतिरिक्त रेक की व्यवस्था रहती है। इसलिए कोयला परिवहन के लिए रेलवे से रेक की कमी नहीं होने दी जाएगी। जिसके बाद स्थानीय रेलवे से विभिन्न संयंत्रों को परिवहन होने वाले कोयले की रेक बढ़ा दी गई है।

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