छत्तीसगढ़ के 14 जिलों का छह लाख मीट्रिक टन चावल बेचने की तैयारी पूरी

रायपुर. छत्तीसगढ़ के धान-चावल पर केंद्र सरकार के सियासी दांवपेच के बीच राज्य सरकार ने प्रदेश के 14 जिलों का छह लाख मीट्रिक टन चावल बेचने की तैयारी कर ली है। इससे पहले राज्य सरकार प्रदेश का 20 लाख मीट्रिक टन धान ई-मार्केट में बेचने की प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है। खास बात ये है कि राज्य को पहली बार ये सौदा करना पड़ रहा है। वजह ये है कि केंद्र सरकार ने वादे के अनुरूप 40 लाख मीट्रिक टन धान लेने से इनकार करते हुए केवल 24 लाख मीट्रिक टन के लिए मंजूरी दी है।
मार्कफेड ने जारी किया टेंडर
सरकार की एजेंसी मार्कफेड ने 1 मार्च को प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर कहा है कि वर्ष 2020-21 में उपार्जित चावल के विक्रय के लिए कैबिनेट के निर्णय के अनुसार राज्य शासन से प्राप्त आदेश के तारतम्य में राज्य के 14 जिलों में उपलब्ध छह लाख मीट्रिक टन चावल की बिक्री की जानी है। यह सौदा अल्पकालीन ई-निविदा 26 फरवरी से 10 मार्च तक के माध्यम से प्रतिष्ठित चावल उत्पादन, निर्यात, ट्रेडर्स से निविदाएं आमंत्रित किया जाना है।
आज खरीदारों के लिए प्री-बीड
कलेक्टरों को मार्कफेड ने यह जानकारी दी है कि 3 मार्च को सुबह 11 बजे से निविदाकारों के लिए निगम मुख्यालय में प्री-बीड आमंत्रित की गई है यानी 3 मार्च से छह लाख मीट्रिक टन चावल की बिक्री की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। यह पहला अवसर है, जब राज्य सरकार को अपना चावल निविदा के माध्यम से खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इससे पहले राज्य के सामने ऐसी नौबत कभी नहीं आई।
धान-चावल पर केंद्र की सियासत
राज्य के लिए यह पहला अवसर है, जब केंद्र की एनडीए सरकार छत्तीसगढ़ के धान-चावल पर सियासी दांवपेच कर रही है। केंद्र ने सेंट्रल पूल के लिए 40 लाख मीट्रिक टन धान लेने का वादा करने के बाद केवल 24 लाख मीट्रिक टन की मंजूरी दी है। राज्य ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया कि वे वादे के मुताबित 40 लाख मीट्रिक टन धान ले, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने साफ किया है कि वे 24 लाख मीट्रिक टन से अधिक एक दाना भी नहीं लेंगे। राज्य सरकार अब इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की तैयारी में है।
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