निजी स्कूलों की दो टूक- फीस नहीं तो अंकसूची और टीसी भी नहीं, बंद करेंगे ऑनलाइन कक्षाएं

निजी स्कूलों की दो टूक- फीस नहीं तो अंकसूची और टीसी भी नहीं, बंद करेंगे ऑनलाइन कक्षाएं
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निजी स्कूल अब पालकों को तब तक अंकसूची और टीसी नहीं देंगे, जब तक उनके द्वारा पूरी फीस नहीं भरी जाती है। बुधवार को हुई निजी स्कूल एसोसिएशन की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में प्रदेश के 18 जिलों के कार्यकारिणी सदस्यों ने हिस्सा लिया। एक वर्ष पूर्व कोरोना महामारी के साथ ही शुरू हुई आर्थिक समस्याएं संगठन के सामने रखते हुए सभी ने फीस के विषय में कड़े मापदंड तय करने पर सहमति जताई।

निजी स्कूल अब पालकों को तब तक अंकसूची और टीसी नहीं देंगे, जब तक उनके द्वारा पूरी फीस नहीं भरी जाती है। बुधवार को हुई निजी स्कूल एसोसिएशन की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में प्रदेश के 18 जिलों के कार्यकारिणी सदस्यों ने हिस्सा लिया। एक वर्ष पूर्व कोरोना महामारी के साथ ही शुरू हुई आर्थिक समस्याएं संगठन के सामने रखते हुए सभी ने फीस के विषय में कड़े मापदंड तय करने पर सहमति जताई।

निजी स्कूलों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो गई है। कई पालक आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बाद भी फीस नहीं दे रहे हैं। सिविल लाइन स्थित जेडी डागा स्कूल में रखी गई इस बैठक में शासन को कई विषयों पर मांगपत्र भेजने की तैयारी भी की गई। कोरोना आंकलन के बाद जल्द से जल्द शैक्षणिक संस्थान दोबारा खोलने के अलावा बस टैक्स माफ करने और स्कूलों की मान्यता एक वर्ष स्वमेव बढ़ाने की भी मांग शासन से की जाएगी।

नहीं मिलेगा प्रवेश

निजी स्कूलों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जनरल प्रमोशन के फैसले के बाद ऐसे पालक जिन्होंने अपने बच्चों की फीस नहीं भरी है उन्हें अंकसूची और टीसी किसी भी स्थिति में नहीं दी जाएगी। निजी स्कूलों से कहा गया है कि वे बगैर टीसी या अंकसूची के आने वाले छात्रों को अपने संस्थानों में प्रवेश ना दें। चुंकि बोर्ड कक्षाओं को छोड़कर अन्य सभी कक्षाओं में छात्रों को जनरल प्रमोशन दे दिया गया है, ऐसे में नए सत्र की पढ़ाई एक अप्रैल से प्रारंभ हो जाएगी। जिन्होंने अब तक फीस नहीं दी है उन्हें अगली कक्षा में एडमिशन नहीं दिया जाएगा और ना ही वे छात्र ऑनलाइन कक्षाओं का हिस्सा रहेंगे।

सड़क पर आ जाएंगे

बीते एक साल से फीस के लिए गुहार लगा रहे हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बाद भी कई अभिभावक फीस नहीं दे रहे हैं। यही हालात रहें तो निजी स्कूल सड़क पर आ जाएंगे।


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