प्रॉपर्टी टैक्स ऑनलाइन सिस्टम फेल, 90 फीसदी लोगों तक नहीं पहुंची आईडी

रायपुर. नगर निगम द्वारा शहर की 14 लाख आबादी को ऑनलाइन प्राॅपर्टी टैक्स जमा कराने के लिए तैयार सिस्टम फेल हो गया है। 90 फीसदी लोगों को नगर निगम की ओर से प्राॅपर्टी आईडी नहीं दी गई है। केवल 10 फीसदी करदाताओं तक ही प्राॅपर्टी आईडी जनरेट हो पाई।
इसके चलते लोगों को घर बैठे अपनी दुकान, मकान या भवन के संपत्ति कर का भुगतान ऑनलाइन करने की सुविधा नहीं मिल पा रही। जबकि तीन साल पहले निजी एजेंसी द्वारा शहरभर में जीआईएस सर्वे कर घरों की नापजोख की गई थी और सभी को 10 डिजिट की प्राॅपर्टी आईडी दी गई। शहरी सरकार ने राजधानीवासियों की सुविधा के लिए तीन साल पहले संपत्ति कर भुगतान में सहूलियत देने ऑनलाइन सिस्टम का प्लान रायपुर नगर निगम के 70 वार्डाें के लिए शुरू किया था, जिसमें लोगों को उनके मकान, दुकान का संपत्ति कर बिना किसी दिक्कत के घर बैठे एक क्लिक पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा का लाभ देना था। इसके लिए जीआईएस सर्वे कराकर लोगों को प्राॅपर्टी कोड जोन के माध्यम से उपलब्ध कराने के साथ ही प्रत्येक करदाता को डिमांड नोट के साथ प्राॅपर्टी आईडी की जानकारी देनी थी। इस आईडी की मदद से कोई भी व्यक्ति अपने घर, मकान या दुकान का टैक्स जमा कर सकता है, पर ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं हो पाई।
दीवारों पर लिखवाया था, मिट गया
जोन में पदस्थ सहायक राजस्व अधिकारी ये कह रहे हैं, पिछले साल बहुत से लोगों को डिमांड नोट के साथ प्राॅपर्टी आईडी बताई गई। जोन स्तर पर लोगों के मकान की दीवारों के सामने इसे लिखवाया गया, पर लोग ऑनलाइन भुगतान की जगह जोन दफ्तर आकर प्राॅपर्टी टैक्स जमा करना ज्यादा पसंद करते हैं। लोगों के सामने दोनों तरह के विकल्प खुले हैं। वे चाहें तो अपने जोन दफ्तर में जाकर संपत्ति कर जमा कराएं या फिर ऑनलाइन सुविधा का उपयोग करें।
बिना प्राॅपर्टी कोड के ऑनलाइन पेमेंट में दिक्कत
शहरवासी नगर निगम की ओर से प्राॅपर्टी टैक्स के ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम की सुविधा का उपयोग करना चाहते हैं, पर इसमें दिक्कत ये आ रही है कि ज्यादातर लोगों को ये पता नहीं कि जीआईएस सर्वे के बाद उनका प्राॅपर्टी कोड क्या है। इसके बिना ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आगे नहीं बढ़ता, यही वजह है लोग चाहकर भी ऑनलाइन पेमेंट नहीं कर पा रहे और मजबूरी में ऑफलाइन टैक्स जमा कर रहे हैं।
दफ्तर से ले सकते हैं कोड
ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम का उपयोग मात्र 10 फीसदी करदाता ही कर रहे हैं। 90 फीसदी लोग मैनुअल सिस्टम से ही संपत्ति कर का भुगतान करते आ रहे हैं। ये बात सही है कि कई लोगों को प्राॅपर्टी कोड की जानकारी नहीं है, पर यदि वे चाहें तो संबंधित जोन में जाकर पिछले साल की प्राॅपर्टी टैक्स की रसीद दिखाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं।
- पुलक भट्टाचार्य, अपर आयुक्त, ननि रायपुर
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