एनमडीसी के विस्तार का विरोध : सड़क जाम कर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर लगाए नारे, जनसुनवाई में प्रभावित गांवों को नहीं किया गया शामिल

पंकज भदौरिया / विप्लव मल्लिक-दंतेवाड़ा / किरंदुल। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्थित सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पाद केंद्र बैलाडीला के एनएमडीसी के विस्तारीकरण का स्थानीय ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। दरअसल बैलाडीला में डिपाजिट14 के क्षमता विस्तारीकरण को लेकर रविवार को जनसुनवाई बुलाई गई थी। इस दौरान एनमडीसी द्वारा डिपाजिट 14 और 14 एनएम जेड एमएलएस बैलाडीला आयरन माइन किरंदुल कांप्लेक्स द्वारा प्रस्तावित क्षमता विस्तार के संदर्भ में रविवार को 11 बजे शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल विद्यानगर किरंदुल में जन सुनवाई रखी गई थी। इस जनसुनवाई में ग्रामीणों ने सड़क पर जमकर बवाल मचाया। यहां जन सुनवाई स्थल पर प्रशासन और एनमडीसी के अधिकारी ही मौजूद रहे।
वहीं जनसुनवाई में ग्रामीणों के बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल विद्यानगर किरंदुल में आयोजित जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीणों ने सड़क जामकर खूब नारेबाजी भी की। इस जनसुनवाई का सयुंक्त पंचायत जन संघर्ष समिति ने विरोध किया। वहीं, सैकड़ों की संख्या में किरंदुल के विद्यानगर चौक में ग्रामीणों ने सड़क को जामकर राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
लाल पानी और माइंस से 53 गांव प्रभावित
ग्रामीणों के साथ सयुक्त पंचायत समिति के अध्यक्ष नंदा मंडावी, राजू भास्कर, मंगल कुंजाम शामिल रहे। उन्होंने बताया कि एनमडीसी ने जनसुनवाई के लिए किरंदुल के 10 किमी के आसपास के सात ग्राम पंचायत को ही बुलाया है, जबकि एनमडीसी के लाल पानी और माइंस से 53 गांव प्रभावित हैं। सभी गांव के लोगों को जनसुनवाई में शामिल नहीं किए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। सयुंक्त पंचायत कमेटी ने कहा कि मावाड़ी, चोलनार, कडमपाल, बेंगपाल, गांवों के ग्रामीण, इससे प्रभावित हैं।
ज्यादा प्रभावित गांव जनसुनवाई में शामिल नहीं
दुगेली जैसे गांव के लोगों को जन सुनवाई में बुलाया गया है। बैलाडीला पहाड़ के पीछे बुरगिल पंचायत के पांच गांव पुसनार पंचायत के आठ पारा, गंगालूर, गोंगला, मेट्टा पाड़, कमकानार, रेड्डी, कोइटपाल, कडेनार, पेहा कोडपाल, संतोष पुर, कुंडेर, नेमेड़, मिंगचल, अंद्री, रामपुर, डोडी तुमनार, पीडिया, डल्ला, मलमपल्ली, बासागुड़ा, हिरोली, गुमियापाल जैसे गांवों को भी ग्रामीणों ने प्रभावित बताया है।
एनएमडीसी की वजह से पर्यावरण को नुकसान : सोनी सारी
वहीं, आंदोलन में समाजसेवी सोनी सारी भी पहुंची थी। सोनी सारी ने कहा कि एनमडीसी 60 साल से लोहा का दोहन पेड़ पौधों को काटकर कर रही है। इससे प्रभावित गांवों की संख्या 50 से भी ज्यादा है। बावजूद जन सुनवाई में सिर्फ सात गांव के लोगों को ही क्यों बुलाया गया ? एनमडीसी की वजह से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। नदी-नालों का पानी दूषित हो रहा है। पेड़ों को काटकर प्लांटेशन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाल पानी से मवेशी मर रहे है। एनमडीसी सभी प्रभावित गांवी को जनसुनवाई में क्यों नहीं बुला रही है? देखें वीडियो...
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